जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है,
क्यों भटकूं गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है।
नहीं चाहिए ये दुनिया के,
निराले रंग ढंग मुझको,
निराले रंग ढंग मुझको,
चली जाऊं मैं वृंदावन,
चली जाऊं मैं वृंदावन,
तेरा श्रृंगार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है।
जगत के साज बाजों से,
हुए हैं कान अब बहरे,
हुए हैं कान अब बहरे,
कहां जाके सुनूं बंसी,
कहां जाके सुनूं बंसी,
मधुर वो तान काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है।
जगत के रिश्तेदारों ने,
बिछाया जाल माया का,
बिछाया जाल माया का,
तेरे भक्तों से हो प्रीति,
तेरे भक्तों से हो प्रीति,
श्याम परिवार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है।
जगत की झूठी रौनक से,
हैं आंखें भर गयी मेरी,
हैं आंखें भर गयी मेरी,
चले आओ मेरे मोहन,
चले आओ मेरे मोहन,
दर्श की प्यास काफी है।
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है,
क्यों भटकूं गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है,
जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है,
क्यों भटकूं गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है।
जगत के रंग क्या देखूं Jagat Ke Rang Kya Dekhu | Krishna Bhajan | Bhakti Song | Tera Didar Kafi Hai
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Singer: Shailendra Bhartti, Kavita Raam
Music Director: Navin-Manish
Edit & Gfx: Mind Pro
Language: Hindi
Music Label: Music Nova
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Author - Saroj Jangir
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