जय गणपति वंदन गणनायक भजन
जय गणपति वंदन गणनायक गणेश भजन
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक,
जय गणपति वंदन गणनायक।
तू चार भुजा धारी,
मस्तक सिंदूरी रूप निराला,
है मूषक वाहन तेरो,
तू ही जग का रखवाला,
तेरी सुंदर मूरत मन में,
तू पालक सिद्धि विनायक,
जय गणपति वंदन गणनायक।
मन मंदिर का अंधियारा,
तेरे नाम से हो उजियारा,
तेरे नाम की ज्योति जली तो,
मन में बहती सुख धारा,
तेरो सिमरन हर पूजन में,
सबसे पहले फलदायक,
जय गणपति वंदन गणनायक।
तेरे नाम को जिसने ध्याया,
उस पर रहती सुख छाया,
मेरे रोम रोम अंतर में,
एक तेरा रूप समाया,
तेरी महिमा तू ही जाने,
शिव पार्वती के बालक,
जय गणपति वंदन गणनायक।
जय गणपति वंदन गणनायक,
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक,
जय गणपति वंदन गणनायक,
तेरी छवि अति सुंदर सुखदायक।
यह भजन भगवान गणपति की महिमा का भावपूर्ण वर्णन है, जो सुख और शुभता के दाता माने जाते हैं। इसमें गणनायक की सुंदर छवि, चार भुजाओं और सिंदूरी मस्तक का मनोहारी चित्रण किया गया है। मूसक वाहन और सिद्धि-विनायक स्वरूप में उन्हें जग का रक्षक बताया गया है। उनका स्मरण हर पूजा में प्रथम और फलदायक माना गया है, जो मन के अंधकार को दूर कर सुख और उजियारे की धारा बहा देता है। भजन यह संदेश देता है कि गणपति के ध्यान से हर बाधा दूर होती है और जीवन में सुख-शांति का संचार होता है। उनका अद्वितीय रूप शिव और पार्वती के पुत्र के रूप में समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है।
Jai Ganapati Vandan Gananaayak Anup Jalota | Devotional Song
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Author - Saroj Jangir
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