कभी माखन चुरा लिया कभी पर्वत उठा लिया

कभी माखन चुरा लिया कभी पर्वत उठा लिया

 
कभी माखन चुरा लिया Kabhi Makhan Chura Liya Bhajan Lyrics

कभी माखन चुरा लिया,
कभी पर्वत उठा लिया,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया।

कभी मुझको शक होता,
तु मेरा लाल नहीं हैं,
है कोई अवतारी तू,
ये मेरी बात सही है,
इन्द्र से रक्षा के खातिर,
तुमने पर्वत उठा लिया।

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया।

बहाना कोई करके,
तू सबसे रास रचाये,
कभी तू चीर चुराये,
कभी बंसी पे नचाये,
तेरी लीला ना समझी मैं,
तु क्या क्या रुप दिखाये।

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया।

कन्हैया बोले हंसकर,
मां तेरा लाल ही हूं,
आया दुष्टों को मिटाने,
लेके अवतार मैं हूं,
बात जब पवन बताई,
सुन के मां गले लगाई।

मेरे कान्हा ये बताना,
मेरे कान्हा ये बताना,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया।

कभी माखन चुरा लिया,
कभी पर्वत उठा लिया,
ओ लल्ला रे,
ये क्या गजब किया,
मेरे कान्हा,
मुझको डरा दिया।


Kabhi makhan chura liya kabhi parvat utta liya krashna janmastmi special video 2020 || krishna ||


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