कान्हा कान्हा जपती राधा लिरिक्स Kanha Kanha Japati Radha Bhajan Lyrics

कान्हा कान्हा जपती राधा लिरिक्स Kanha Kanha Japati Radha Bhajan Lyrics


कान्हा कान्हा जपती राधा लिरिक्स Kanha Kanha Japati Radha Bhajan Lyrics

कान्हा कान्हा जपती राधा,
गूंथे प्रेम की माला,
साज श्रृंगार रहते अधूरे,
मन जो लगा ग्वाला,
कान्हा कान्हा जपती राधा,
गूंथे प्रेम की माला।

जोगन मनवा लेकर,
पूजा सांझ सवेरे,
आस ना कोई निराशा,
रखी पलक के डेरे,
राधा सा प्रेम कहां,
कान्हा कान्हा जपती राधा,
गूंथे प्रेम की माला।

भरी गगरिया छलकी गुजरिया,
खेले नटखट पिया सांवरिया,
फोड़ी गगरी तोड़ी बांसुरिया,
हंस हंस खेले कान्हा बावरिया,
यादें तेरी यहां कान्हा,
कान्हा तू है कहां,
कान्हा कान्हा जपती राधा,
गूंथे प्रेम की माला।

मन का जग दूजा रे,
कान्हा है तेरा रे,
लोक परलोक ना जाने,
क्यों सोचे दूजा रे,
जिसमें बसता प्रेम प्रेम बस,
जिसका प्रेम है रास्ता,
कान्हा कान्हा जपती राधा,
गूंथे प्रेम की माला।


Kahna Kahna : Shilpa Aggarwal, Mayur Waghela | कृष्ण भजन | Govind Bhakti Sagar


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Title - Kahna Kahna
Singer - Mayur Waghela
Lyrics - Shilpa Aggarwal
Music - Bhagirath Bhatt
Flute - Prathamesh Salunke 

यह भजन राधा और कृष्ण के दिव्य और अलौकिक प्रेम को दर्शाता है। इसमें राधा की कान्हा के प्रति असीम भक्ति और प्रेम को वर्णित किया गया है। राधा अपने मन और तन से सदा कान्हा के नाम का सुमिरन करती हैं और प्रेम की माला गूंथती हैं। उनके साज-श्रृंगार अधूरे रहते हैं, क्योंकि उनका मन ग्वाला यानी कान्हा में लगा रहता है। राधा का प्रेम अनोखा और अटूट है। इस भजन में राधा रानी के विरह का चित्रण किया गया हैं। कान्हा की लीला, उनकी मस्ती और बाल सुलभ शरारतों का भी इस भजन में उल्लेख है।

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