निवण करूं गुरु जम्भ ने लिरिक्स Nivan Karu Guru Jambh Lyrics
निवण करूं गुरु जम्भ ने,
निरू निर्मल भाव,
कर जोड़े बंधू चरण,
शीश निवाय निवाय।
निवण खिवण,
सब सूं आदर भाव,
कह केशो सोई बड़ा,
जां में घण छिभाव।
आम फले नीचो निवे,
एरड़ ऊंचो जाय,
नुगर सुगर की पारखा,
कह केशो समझाय।
आवो मिलो,
सिवरो सृजनहार,
सतगुरु सत पंथ चालियो,
खरतर खाडां धार।
जम्भेश्वर ज़िभिया जपो,
भीतर छोड़ विकार,
संपत्ति सृजनहार की,
विधि सूं सुण विचार।
अवसरी ढील ना कीजिये,
भलेन लाभे वार,
जंभ राजा वासे वहे,
तलबी कियो तैयार।
चहरी वस्तु ना चाखिये,
उर पर तजी अहंकार,
बाडे हूंता बिछड्या जारी,
सतगुरु करसी सार।
सेरी सिवरण प्राणियां,
अंतर बड़ो आधार,
पर निंदा पापां सिरे,
भूली उठाये भार।
प्रलय होयसी पाप सूं,
मुर्ख सहसी मार,
पाछे ही पछतावसी,
पापां तणि पहार।
ओगण गारो आदमी,
इलारे उर भार,
कह केशो करणी करो,
पावो मोक्ष द्वार।
निवण करूं गुरु जम्भ ने,
निरू निर्मल भाव,
कर जोड़े बंधू चरण,
शीश निवाय निवाय।
जम्भेश्वर साखी निवण करू गुरू जम्भ ने नीऊ निर्मल भाव राजू महाराज Nivan Karu Guru Jambh Ne
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√ Singer : #Sant_Raju_Maharaj
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