मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में भजन लिरिक्स
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
लोहे की रेल चले पटरी पर,
मन की रेल चले सत्संग में,
लोहे की रेल चले पटरी पर,
मन की रेल चले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
गेंदे का फूल खिले बगिया में,
मन का फूल खिले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
घर का दीपक जले बाती से,
मन का दीपक जले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
कपड़े का मैल धूले साबुन से,
मन का मैल धूले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
घर का ताला खुले चाबी से,
मन का ताला खुले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
कपड़े की गांठ खुले खोले से,
मन की गांठ खुले सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में,
मेरे भोलेबाबा चले री सत्संग में।
भोले बाबा कैसे सत्संग में जा रहे हैं आइए सुनते हैं इस भजन के माध्यम से मेरे भोले बाबा चले री सत्संग
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Author - Saroj Jangir
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