भाव सुमन लेकर मैं बैठा गौरी सुत स्वीकार करो

भाव सुमन लेकर मैं बैठा गौरी सुत स्वीकार करो

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो,
हे गणनायक शुभ वरदायक,
आकर सिर पर हाथ धरो,
भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो।।

विद्यावारिधि, बुद्धिविधाता,
आप दया के सागर हो,
भक्तों के दुःख हरने वाले,
ना तुमसे करुणाकर हो,
रिद्धि-सिद्धि के देने वाले,
हम पर भी उपकार करो,
भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो।।

लम्बोदर, गजवदन विनायक,
विघ्न हरण कर लो सारे,
मोदक प्रिय, मुदमंगल त्राता,
दुःख-दारिद्र हरने वाले,
लाज तुम्हारे हाथ गजानन,
भव से बेड़ा पार करो,
भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो।।

आलूसिंह तेरी महिमा का,
पार नहीं कोई पाया,
त्रास हरो सांवल की सारी,
द्वार आपके ये आया,
दास तुम्हारे श्रीचरणों का,
हम सबके भंडार भरो,
भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो।।

भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो,
हे गणनायक शुभ वरदायक,
आकर सिर पर हाथ धरो,
भाव सुमन लेकर मैं बैठा,
गौरी सुत, स्वीकार करो।।


श्री गणेश चतुर्थी स्पेशल || भाव सुमन लेकर मै बैठा गौरी सूत स्वीकार करो || श्री गणेश भजन

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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