टूटे हुए दिलों के लिए 20 बेहतरीन शेर शायरी
टूटे हुए दिल की शायरी दिल के जख्मों को अल्फ़ाज़ में बयां करने का एक एहसास है। जब प्यार अधूरा रह जाता है, सपने टूट जाते हैं और तन्हाई साथी बन जाती है, तब दिल से निकली हर शायरी दर्द का आईना बन जाती है। यह शायरी उन अनकही बातों का स्वरूप है, जो एक टूटे हुए दिल ने सहा है और जो अल्फ़ाज़ बनकर कागज़ पर बह जाती हैं। हर लफ्ज़ में एक कहानी, एक जज़्बात छुपा होता है, जो सीधे दिल को छू लेता है। आइये इस पोस्ट को विस्तार से जान लेते हैं।
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।।
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।।
ये मुझे चैन क्यूँ नहीं पड़ता,
एक ही शख़्स था जहान में क्या।
एक ही शख़्स था जहान में क्या।
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
-अहमद फ़राज़
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
-मिर्ज़ा ग़ालिब
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
-नासिर काज़मी
मुद्दत हुई इक शख़्स ने दिल तोड़ दिया था
इस वास्ते अपनों से मोहब्बत नहीं करते
-साक़ी फ़ारुक़ी
वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था
कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए
-राजेन्द्र मनचंदा बानी
बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका
हम जिस पे मर मिटे वो हमारा न हो सका
-शकेब जलाली
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता
-मुज़्तर ख़ैराबादी
ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे
-हफ़ीज़ होशियारपुरी
हो दूर इस तरह कि तिरा ग़म जुदा न हो
पास आ तो यूँ कि जैसे कभी तू मिला न हो
-अहमद फ़राज़
दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी
इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया
-फ़ानी बदायुनी
ये हमीं हैं कि तिरा दर्द छुपा कर दिल में
काम दुनिया के ब-दस्तूर किए जाते हैं
-अज्ञात
कुछ दिन के बा'द उस से जुदा हो गए 'मुनीर'
उस बेवफ़ा से अपनी तबीअत नहीं मिली
-मुनीर नियाज़ी
ये बात तर्क-ए-तअल्लुक़ के बाद हम समझे
किसी से तर्क-ए-तअल्लुक़ भी इक तअल्लुक़ है
उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया
पा-ब-ज़ंजीर किया और मुझे छोड़ दिया
-जावेद सबा
शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है
बा-वफ़ा जो आज हैं कल बे-वफ़ा हो जाएँगे
-आरज़ू लखनवी
तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते
ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते
-रईस सिद्दीक़ी
तेरे ही ग़म में मर गए सद-शुक्र
आख़िर इक दिन तो हम को मरना था
-निज़ाम रामपुरी
कहते न थे हम 'दर्द' मियाँ छोड़ो ये बातें
पाई न सज़ा और वफ़ा कीजिए उस से
इंतिहा ये है कि 'फ़ानी' दर्द अब दिल हो गया
-फ़ानी बदायुनी
ये हमीं हैं कि तिरा दर्द छुपा कर दिल में
काम दुनिया के ब-दस्तूर किए जाते हैं
-अज्ञात
कुछ दिन के बा'द उस से जुदा हो गए 'मुनीर'
उस बेवफ़ा से अपनी तबीअत नहीं मिली
-मुनीर नियाज़ी
ये बात तर्क-ए-तअल्लुक़ के बाद हम समझे
किसी से तर्क-ए-तअल्लुक़ भी इक तअल्लुक़ है
उस ने आवारा-मिज़ाजी को नया मोड़ दिया
पा-ब-ज़ंजीर किया और मुझे छोड़ दिया
-जावेद सबा
शौक़ चढ़ती धूप जाता वक़्त घटती छाँव है
बा-वफ़ा जो आज हैं कल बे-वफ़ा हो जाएँगे
-आरज़ू लखनवी
तिरे सुलूक का ग़म सुब्ह-ओ-शाम क्या करते
ज़रा सी बात पे जीना हराम क्या करते
-रईस सिद्दीक़ी
तेरे ही ग़म में मर गए सद-शुक्र
आख़िर इक दिन तो हम को मरना था
-निज़ाम रामपुरी
कहते न थे हम 'दर्द' मियाँ छोड़ो ये बातें
पाई न सज़ा और वफ़ा कीजिए उस से
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
- बशीर बद्र
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
- अहमद फ़राज़
मुस्कुरा कर तुम ने देखा
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
- जिगर मुरादाबादी
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूं
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूं
- अनवर शऊर
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
- बशीर बद्र
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
- अहमद फ़राज़
मुस्कुरा कर तुम ने देखा
हम ने सीने से लगाया दिल न अपना बन सका
मुस्कुरा कर तुम ने देखा दिल तुम्हारा हो गया
- जिगर मुरादाबादी
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूं
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूं
- अनवर शऊर
उस की याद आई है सांसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
-राहत इंदौरी
आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
-वसीम बरेलवी
करूंगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाम
मुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
-ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो
किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में
मिरे नसीब में तुम भी नहीं ख़ुदा भी नहीं
-अख़्तर सईद ख़ान
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो
-बशीर बद्र
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है
चले आओ जहाँ तक रौशनी मालूम होती है
-नुशूर वाहिदी
लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूं लोग मिरे नाम से जल जाते हैं
-क़तील शिफ़ाई
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे
-क़ैसर-उल जाफ़री
जिस को तुम भूल गए याद करे कौन उस को
जिस को तुम याद हो वो और किसे याद करे
-जोश मलसियानी
आज तुम याद बे-हिसाब आए
सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूं मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह
-अनवर शऊर
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस
जो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
-अब्बास ताबिश
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
-फ़िराक़ गोरखपुरी
आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
-अहमद फ़राज़
रात दिन आंसू बहाना याद है
दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
-नासिर काज़मी
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
-बहादुर शाह ज़फ़र
चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
-हसरत मोहानी
इतना न याद आ कि
इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएं हम
-अहमद फ़राज़
क्या सितम है कि अब तिरी सूरत
ग़ौर करने पे याद आती है
-जौन एलिया
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं
-हसरत मोहानी
आप के बाद हर घड़ी हम ने
सोचता हूं कि उस की याद आख़िर
अब किसे रात भर जगाती है
-जौन एलिया
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है
-गुलज़ार
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था
-दाग़ देहलवी
याद उसे इंतिहाई करते हैं
याद उसे इंतिहाई करते हैं
सो हम उस की बुराई करते हैं
-जौन एलिया
आप की याद आती रही रात भर
चांदनी दिल दुखाती रही रात भर
-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
-फ़िराक़ गोरखपुरी
हम तो समझे थे कि
इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है
-जौन एलिया
याद उस की इतनी ख़ूब नहीं 'मीर' बाज़ आ
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
-मीर तक़ी मीर
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी
नादान फिर वो जी से भुलाया न जाएगा
-मीर तक़ी मीर
हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
-साहिर लुधियानवी
याद रखना ही मोहब्बत में
अब तो हर बात याद रहती है
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
-जौन एलिया
तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
-जलील मानिकपूरी
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
-जमाल एहसानी
ये इल्म का सौदा
वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
-ख़ुमार बाराबंकवी
याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
छीन ले मुझ से हाफ़िज़ा मेरा
-अख़्तर अंसारी
ये इल्म का सौदा ये रिसाले ये किताबें
इक शख़्स की यादों को भुलाने के लिए हैं
-जाँ निसार अख़्तर
Author - Saroj Jangir
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