हृदय से निकलती यह पुकार गोविंद और गोपाल के प्रति हमारी अनन्य भक्ति और प्रेम को व्यक्त करती है। मुरलीधर माधव को अपने जीवन का केंद्र मानते हुए, यह भावना प्रकट होती है कि उनका सान्निध्य हमारे जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उनकी मुरली की मधुर तान और उनके दर्शन की प्यास, हमारी आत्मा को जोश और शांति से भर देती है। संसार के हर सुख-दुःख में हमें उनके साथ की तलाश रहती है। उनकी कृपा की एक झलक मात्र से हमारा जीवन धन्य हो जाता है। प्रभु से यही प्रार्थना है कि वे हमें अपने समीप बुला लें या स्वयं हमारे हृदय में बस जाएं। इस भक्ति में हमारी आत्मा को अद्वितीय आनंद और शांति का अनुभव होता है।
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