शिव भोले और गिरधारी शिव भजन

शिव भोले और गिरधारी


प्यार से राम को जिसने भी पुकारा होगा,
डूबने वाले को मुरलीधर ने उबारा होगा,
जो भी सच्ची भक्ति करता है भगवान की दिल से,
दौड़-दौड़ के भोलेनाथ ने उबारा होगा।

शिव भोले और गिरधारी, दोनों हैं जग हितकारी,
अंतर क्या दोनों के प्रेम में बोलो,
एक दुख से छुड़ाते, एक पार लगाते।

मोहन तो मधुबन में मिलते, काशी में कैलाशी,
अधम उद्धारण कहलाते हैं, वो घट-घट के वासी।
एक पहनते हैं पीतांबर, एक ओढ़े हैं बाघंबर,
अंतर क्या दोनों के प्रेम में बोलो,
एक जगत से तारें, एक भवसिंधु तारें।

द्रौपदी की सुन टेर कन्हैया, आकर चीर बढ़ाए,
कालिया का वध करने को, शिव त्रिशूल उठाए।
एक चक्र-सुदर्शनधारी, एक भोले हैं भंडारी,
अंतर क्या दोनों के प्रेम में बोलो,
जब भक्त बुलाते, दोनों दौड़े-दौड़े आते।

प्रेम के भूखे हैं हे शर्मा, भोले और नटनागर,
भक्ति भाव से मिलते हैं, भक्तों को वो करुणाकर।
एक राधा के बनवारी, एक गौरा के त्रिपुरारी,
अंतर क्या दोनों के प्रेम में बोलो,
एक योगी महाज्ञानी, एक औघड़ महादानी।


Shiv bhole aur girdhari by lakhbir Singh lakkha

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Shiv bhole aur girdhari by lakhbir Singh lakkha and gulshan kumar
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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