गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं भजन
गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं भजन
गजमुखं द्विभुजं देवं लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवं देव गौरीसुतं।।
कौन कहता है गणराज आते नहीं,
भाव-भक्ति से उनको बुलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज खाते नहीं,
भोग मोदक का तुम खिलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज सोते नहीं,
माता गौरा से जैसे सुलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज नाचते नहीं,
रिद्धि-सिद्धि से जैसे नचाते नहीं।।
गजमुखं द्विभुजं देवं लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवं देव गौरीसुतं।।
भालचंद्रं देवं देव गौरीसुतं।।
कौन कहता है गणराज आते नहीं,
भाव-भक्ति से उनको बुलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज खाते नहीं,
भोग मोदक का तुम खिलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज सोते नहीं,
माता गौरा से जैसे सुलाते नहीं।।
कौन कहता है गणराज नाचते नहीं,
रिद्धि-सिद्धि से जैसे नचाते नहीं।।
गजमुखं द्विभुजं देवं लम्बोदरं,
भालचंद्रं देवं देव गौरीसुतं।।
गजमुखं द्विभुजं देवा लम्बोदरं। कौन कहते है गणराज आते नही।Ganesh Chaturthi special।Lakhan Nagar।
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Author - Saroj Jangir
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