मैं की की सिफ़तां दस्सां मातारानी भजन
मैं की की सिफ़तां दस्सां मातारानी भजन
(मुखड़ा)
मैं की की सिफ़तां दसां,
मेरी मइया दे दरबार दियां।
मैं की की सिफ़तां दसां,
मैं की की सिफ़तां दसां।
मेरी मइया दे दरबार दियां,
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 1)
शेर सवारी सोहणी लगदी,
चरणां दे विच गंगा वगदी।
चरणां दे विच गंगा वगदी,
वैष्णों मां दे प्यार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 2)
दर तेरे ते झुल्दे झंडे,
सभ नूं मिठियां मुरादां वंडे।
सभ नूं मिठियां मुरादां वंडे,
संगतां अरज़ गुज़ार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 3)
मइया मेरी दा भवन निराला,
दर्शन पाउँदा भागां वाला।
दर्शन पाउँदा भागां वाला,
अंबे सच्ची सरकार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
मैं की की सिफ़तां दसां,
मेरी मइया दे दरबार दियां।
मैं की की सिफ़तां दसां,
मैं की की सिफ़तां दसां।
मेरी मइया दे दरबार दियां,
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 1)
शेर सवारी सोहणी लगदी,
चरणां दे विच गंगा वगदी।
चरणां दे विच गंगा वगदी,
वैष्णों मां दे प्यार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 2)
दर तेरे ते झुल्दे झंडे,
सभ नूं मिठियां मुरादां वंडे।
सभ नूं मिठियां मुरादां वंडे,
संगतां अरज़ गुज़ार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
(अंतरा 3)
मइया मेरी दा भवन निराला,
दर्शन पाउँदा भागां वाला।
दर्शन पाउँदा भागां वाला,
अंबे सच्ची सरकार दियां...
तेरे दर दियां ठंडियां छांवां,
तपदे सीने नूं ठार्हदियां।
मैं की की सिफ़तां दसां...
Mai Ki Ki Shifta Dasa Meri Maiya De Darbar Diya | Nandlal Ji Bhajan | Maa Vaishno Devi Bhajan 2025
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शेराँवाली माँ का बुलावा मन में ऐसी ललक जगाता है, जैसे प्यासा जल की पुकार करता है। उनका आगमन केवल दर्शन नहीं, बल्कि भक्तों के जीवन में सुख और शक्ति का संचार है। माँ की जोत, उनकी लाट, हर दिल को प्रेम की लौ से जगमगाती है।
भक्तों ने माँ का भवन प्रेम से सजाया, जागरण की रौनक बिखेरी। यह सजावट केवल फूलों और दीयों की नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति की है। जैसे बच्चा माँ की गोद में सुख पाता है, वैसे ही माँ के दर पर हर भक्त के भाग्य जाग उठते हैं।
माँ का दर्शन पाने को आँखें तरसती हैं, और संगत उनके नाम में डूबकर खुमारी चढ़ती है। उनका दर वह पावन स्थल है, जहाँ रौनकें बरसती हैं, और करुणा का मेघ बरसता है। माँ की भक्ति का रंग ऐसा है, जो मन को सदा उनके चरणों में बाँधे रखता है, और हर भक्त को उनके आने की आस में मस्त रखता है।
भक्तों ने माँ का भवन प्रेम से सजाया, जागरण की रौनक बिखेरी। यह सजावट केवल फूलों और दीयों की नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति की है। जैसे बच्चा माँ की गोद में सुख पाता है, वैसे ही माँ के दर पर हर भक्त के भाग्य जाग उठते हैं।
माँ का दर्शन पाने को आँखें तरसती हैं, और संगत उनके नाम में डूबकर खुमारी चढ़ती है। उनका दर वह पावन स्थल है, जहाँ रौनकें बरसती हैं, और करुणा का मेघ बरसता है। माँ की भक्ति का रंग ऐसा है, जो मन को सदा उनके चरणों में बाँधे रखता है, और हर भक्त को उनके आने की आस में मस्त रखता है।
Mai Ki Ki Shifta Dassa Meri Maiya De Darbar Diya" – नंदलाल जी की दिल छू लेने वाली आवाज़ में माँ के दरबार की महिमा का वर्णन करता एक बेहद भावुक और भक्तिपूर्ण भजन।
Singer: Nandlal Ji
Category: Punjabi Devi Bhajan | Vaishno Devi Bhajan
Category: Punjabi Devi Bhajan | Vaishno Devi Bhajan
Language: Punjabi
|
Author - Saroj Jangir
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