मैं रानी हूं तू सन्यासी, मैं महलां की तू वन का वासी, बनना है फिर भी तेरी दासी, ये जिद तो ना छोड़ी जायेगी, मेरा मिलना ना पहली बारी है, या तो जन्म जन्म की यारी है, जब तक तन में दम आखिरी है, ये बोली साथ निभाएगी, मैं रानी हूं तू सन्यासी।
बड़े घर में जो मैं पैदा हुई, इसमें मेरा तो कोई कसूर नहीं, करे मेरे पे ऐसा ज़ुल्म ना तू, मैंने प्रीत करी है गुनाह तो नहीं, तू पड़ा श्मशान में, चाहे हो बेशक बीहड़ वन में, हर जगह तेरी बनके परछाई, यह बोली तेरे पीछे आयेगी, मैं रानी हूं तू सन्यासी।
धन दौलत ना घर बार माने, ना देखा तेरा कारोबार माने, तेरे भोलेपन पे होगी फ़िदा, यह सादगी तेरी भागी माने, दुनिया की तो मैंने परवाह नहीं, डर लगे तेरी रूसवाई से, मिल गया तू ना सुन ले भोले, तेरी भोली जी ना पायेगी।
मैं रानी हूं तू सन्यासी, मैं महलां की तू वन का वासी, बनना है फिर भी तेरी दासी, यह ज़िद तो ना छोड़ी जायेगी, मैं रानी हूं तू सन्यासी।
मां पार्वती राजा हिमावंत की पुत्री थी। एक राजकुमारी सुख-संपन्न जीवन से जुड़ी थी। दूसरी ओर भगवान शिव एक सन्यासी थे। वे भस्म रमाए हुए, श्मशान में रहने वाले, सादगी और वैराग्य की मूर्ति थे। जब पार्वती ने शिव से प्रेम किया तो समाज और उनके माता-पिता तक ने विरोध किया। सबने कहा कि वह एक सन्यासी हैं, उनके पास न धन है, न राजसी ठाठ। लेकिन मां पार्वती ने अपने प्रेम को सच्चा और पवित्र माना। उन्होंने तपस्या की, कठिन साधना की, और अंत में शिव को अपने प्रेम से जीत लिया। शिव-पार्वती जैसे दिव्य प्रेम की झलक है। प्रेम आत्मा का मिलन है, जहां सामाजिक बंधन, रूप, जाति, प्रतिष्ठा सब कुछ गौण हो जाते हैं। जय शिव शक्ति।
Me Rani Tu Sanyasi (Reply) Sanjay Kaushik | Bhole New Song 2025 | New Haryanvi Songs Haryanavi 2025
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रानी का मन सन्यासी के प्रति ऐसी प्रीत से भरा है, जो जन्म-जन्म की यारी को जागृत करता है। वह महलों की रानी होकर भी सन्यासी की सादगी पर फिदा है, जैसे कोई दीपक सूरज की रोशनी में भी अपनी लौ थामे रखता है। उसकी जिद है कि वह उसकी दासी बने, चाहे वह श्मशान में हो या बीहड़ वन में। यह प्रेम दुनिया की मर्यादाओं को नहीं मानता, केवल सन्यासी के भोलेपन को पूजता है।
रानी कहती है, बड़े घर में जन्म लेना उसका कसूर नहीं, और प्रीत करना कोई गुनाह नहीं। वह सन्यासी की परछाई बनकर हर कदम साथ निभाने को तैयार है। धन-दौलत, घर-बार उसके लिए बेमानी हैं; उसका मन तो सन्यासी की सादगी में बंध गया है। उसे दुनिया की परवाह नहीं, बस सन्यासी की रुसवाई का डर है।
यह प्रेम केवल इस जन्म की बात नहीं, बल्कि अनंत काल की वह कड़ी है, जो रानी को सन्यासी के पीछे खींच ले जाती है। वह हर हाल में उसके साथ है, और यह बोली तन-मन की आखिरी साँस तक निभाएगी। उसका प्रण है कि सन्यासी का साथ कभी न छूटे, जैसे नदी अपने सागर से कभी जुदा नहीं होती।
Featuring- Sourav Bhargav, Neha Bairagi Singer- Pooja Kathuria Music & Mix-master- Pankaj Sharma (MR Studio) Editor- Anuj Saini Video- Vikas Saini Label - HARI RECORDS
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