तू फिरा अपनी मोरछड़ी भजन
तू फिरा अपनी मोरछड़ी भजन
श्याम, सर पे मुसीबत पड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी।
खाटू वाले, उम्मीद न तोड़ो,
तेरी महिमा सुनी है बड़ी॥
इन आँखों के पानी का क्या,
यह तो दर-दर पे बह जाते हैं,
दर्द की तो जुबां ही नहीं,
कैसे अपनी सुना पाते हैं।
आँखों से बहते, बन के लड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
बाबा, तेरे बिना, दुख हरे कौन मेरा,
सच कहूं तो सहा नहीं जाता घेरा।
हमने भी अब ये ठाना है श्याम,
खाली न लौट जाएंगे हम।
मेरी झोली जो भर जाएगी,
बार-बार भी आएंगे हम।
काट दे तू ये दुख की घड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
मैं तो दर-दर भटकता फिरूं,
श्याम, अब अपनी ओर मोड़ ले।
प्रीत का कोई नाता मोहन,
दास 'विष्णु' से भी जोड़ ले।
बांध ले मुझको कोई हथकड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी।
खाटू वाले, उम्मीद न तोड़ो,
तेरी महिमा सुनी है बड़ी॥
इन आँखों के पानी का क्या,
यह तो दर-दर पे बह जाते हैं,
दर्द की तो जुबां ही नहीं,
कैसे अपनी सुना पाते हैं।
आँखों से बहते, बन के लड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
बाबा, तेरे बिना, दुख हरे कौन मेरा,
सच कहूं तो सहा नहीं जाता घेरा।
हमने भी अब ये ठाना है श्याम,
खाली न लौट जाएंगे हम।
मेरी झोली जो भर जाएगी,
बार-बार भी आएंगे हम।
काट दे तू ये दुख की घड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
मैं तो दर-दर भटकता फिरूं,
श्याम, अब अपनी ओर मोड़ ले।
प्रीत का कोई नाता मोहन,
दास 'विष्णु' से भी जोड़ ले।
बांध ले मुझको कोई हथकड़ी,
तू फेरा दे, तू फेरा अपनी मोरछड़ी॥
Tu Phira Apni Morchhadi Bhajan-MORCHADI | मोरछड़ी | Khatu Shyam Bhajan | Sanjeev Sharma | करे करामात ये तो बड़ी धणी श्याम की मोरछड़ी
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हीरे जवाहरात मोती जड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
करे करामात ये तो बड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
खाटू धणी की लाड़ली दुलारी
मोरपंख से श्याम ने सँवारी
रहे चरणों में हर दम खड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी का लग जाए झाड़ा
बुरी नज़र को मार पछाड़ा
टाल दे विपदा की हर घडी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी जिसको भी छू ले
कष्ट कलेश सभी वो भूले
सारी दुविधाएं उसकी झड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी बबलू को प्यारी
पूरी करे जो बात विचारी
करने रक्षा सरल की खड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
करे करामात ये तो बड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
खाटू धणी की लाड़ली दुलारी
मोरपंख से श्याम ने सँवारी
रहे चरणों में हर दम खड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी का लग जाए झाड़ा
बुरी नज़र को मार पछाड़ा
टाल दे विपदा की हर घडी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी जिसको भी छू ले
कष्ट कलेश सभी वो भूले
सारी दुविधाएं उसकी झड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
मोरछड़ी बबलू को प्यारी
पूरी करे जो बात विचारी
करने रक्षा सरल की खड़ी
मेरे श्याम धणी की मोरछड़ी
श्याम बाबा की शरण में वह करुणा है, जो हर मुसीबत को पल में दूर कर देती है। जब मन दुख की लहरों में डूबता है और आँखों से आँसुओं की माला बहती है, तब उनकी मोरछड़ी का एक फेरा सारी पीड़ा हर लेता है। भक्त का दर्द बयाँ करने को शब्द नहीं, पर श्याम उसकी पुकार को बिना कहे सुन लेते हैं। जैसे 'विष्णु' ने ठाना कि खाली नहीं लौटेगा, वैसे ही सच्चा विश्वास मन को यह भरोसा देता है कि श्याम की कृपा से झोली भर जाएगी। यह भक्ति का बंधन है, जो भटके मन को उनकी ओर मोड़ता है और प्रेम की हथकड़ी से बाँध लेता है। श्याम का दर वह ठौर है, जहाँ बार-बार लौटने का मन करता है, क्योंकि उनकी महिमा हर दुख की घड़ी को आनंद में बदल देती है।
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Author - Saroj Jangir
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