तुम हो जगत के स्वामी भजन

तुम हो जगत के स्वामी भजन

तुम हो जगत के स्वामी, ओ मेरे जगन्नाथ
(मुखड़ा)
तुम हो जगत के स्वामी, ओ मेरे जगन्नाथ,
हम आए गए पूरी में, ओ मेरे दीनानाथ।

(अंतरा 1)
समय का मैं हूं मारा, तो तेरे दर पे आया,
आकर के प्रभु जी तेरा दरवाजा खटकाया,
तुम हो जब साथ मेरे, फिर बच्चे क्यों अनाथ,
हम आए गए पूरी में, ओ मेरे दीनानाथ।

(अंतरा 2)
क्या मैं बताऊं बाबा, कौन सी घड़ी है,
बच्चों पर तेरे बाबा, मुश्किल बड़ी है,
सोचूं मैं हर बारी, तुम हो मेरे साथ,
हम आए गए पूरी में, ओ मेरे दीनानाथ।

(अंतरा 3)
लकी को प्रभु मेरे, पूरी में रख लो,
विनती यही है प्रभु, चरणों में रख लो,
रख दो मेरे सीर पर, अपने ये दोनों हाथ,
हम आए गए पूरी में, ओ मेरे दीनानाथ।


Tum Ho Jag Ke Swami

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जगन्नाथ, दीनानाथ के चरणों में साधक का हृदय समर्पित है, जो पूरी के द्वार पर उनकी शरण माँगता है। समय की मार से घायल, साधक उनके दरवाजे पर आकर पुकारता है। प्रभु का साथ हो, तो कोई अनाथ कैसे? मुश्किलें घेरें, बच्चों पर संकट हो, फिर भी विश्वास अटल कि जगन्नाथ साथ हैं। साधक प्रभु से विनती करता है कि लकी को अपनी छाँव में रखें, चरणों में स्थान दें, और अपने करुणामय हाथों को सिर पर रखें। यह जगन्नाथ की भक्ति का आलम है, जहाँ साधक की पुकार और विश्वास उनकी कृपा से जीवन को आश्रय और शांति प्रदान करता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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