
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
Tulsi Ramayana Shri Ramcharitmanas Bal Kand (Part 2) मंगल भवन अमंगल हारी द्रवउ सो दसरथ अजिर बिहारी गई भवानी भवन बहोरी बंदि चरन बोली कर जो...
तुलसी रामायण बाल कांड-मुकेश कुमार भजन जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन नील सरोरुह स्याम तरुन अ...
बाल कान्ड-21 सबहि भाँति मोहि दीन्हि बड़ाई। निज जन जानि लीन्ह अपनाई।। होहिं सहस दस सारद सेषा। करहिं कलप कोटिक भरि लेखा।। मोर भाग्य राउर गुन...
बाल कान्ड-20 स्याम सरीरु सुभायँ सुहावन। सोभा कोटि मनोज लजावन।। जावक जुत पद कमल सुहाए। मुनि मन मधुप रहत जिन्ह छाए।। पीत पुनीत मनोहर धोती...
बाल कान्ड-19 जेहिं बर बाजि रामु असवारा। तेहि सारदउ न बरनै पारा।। संकरु राम रूप अनुरागे। नयन पंचदस अति प्रिय लागे।। हरि हित सहित रामु जब...
बाल कान्ड-17 झाँझि मृदंग संख सहनाई। भेरि ढोल दुंदुभी सुहाई।। बाजहिं बहु बाजने सुहाए। जहँ तहँ जुबतिन्ह मंगल गाए।। सखिन्ह सहित हरषी अति रान...
बाल कान्ड-18 सुनि सरोष भृगुनायकु आए। बहुत भाँति तिन्ह आँखि देखाए।। देखि राम बलु निज धनु दीन्हा। करि बहु बिनय गवनु बन कीन्हा।। राजन रामु अ...
बाल कान्ड-16 चलिं संग लै सखीं सयानी। गावत गीत मनोहर बानी।। सोह नवल तनु सुंदर सारी। जगत जननि अतुलित छबि भारी।। भूषन सकल सुदेस सुहाए। अंग अ...
बाल कान्ड-14 कीन्ह प्रनामु चरन धरि माथा। दीन्हि असीस मुदित मुनिनाथा।। बिप्रबृंद सब सादर बंदे। जानि भाग्य बड़ राउ अनंदे।। कुसल प्रस्न कहि ब...