श्रीमद् भगवद्गीता श्लोक धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय
श्रीमद् भगवद्गीता मूल श्लोक
मूल श्लोकः धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।।
भगवद गीता के ये 20 श्लोक आपको जीवन का सही अर्थ समझाते हैं Bhagwat Geeta Shlok in Hindi
संजय को ऐसी दिर्व्य दृष्टि वेदव्यास जी के द्वारा प्रदत्त थी की वो युद्ध के मैदान में हो रही घटनाओं को देख और सुन सकते थे। उन्ही से अंध वृद्ध धृतराष्ट्र प्रश्न पूछते हैं की संजय से प्रश्न पूछते हैं की युद्ध भूमि में क्या हो रहा है बताओ। वस्तुतः धृतराष्ट्र को पांडवों के साथ किये गए अन्याय का बोध था और उन्हें युद्ध के परिणाम के बारे में संदेह भी था। धृतराष्ट्र के द्वारा कहा गया गीता में यह एक मात्र श्लोक है। धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्धकी इच्छावाले मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने क्या किया
संजय को ऐसी दिर्व्य दृष्टि वेदव्यास जी के द्वारा प्रदत्त थी की वो युद्ध के मैदान में हो रही घटनाओं को देख और सुन सकते थे। उन्ही से अंध वृद्ध धृतराष्ट्र प्रश्न पूछते हैं की संजय से प्रश्न पूछते हैं की युद्ध भूमि में क्या हो रहा है बताओ। वस्तुतः धृतराष्ट्र को पांडवों के साथ किये गए अन्याय का बोध था और उन्हें युद्ध के परिणाम के बारे में संदेह भी था। धृतराष्ट्र के द्वारा कहा गया गीता में यह एक मात्र श्लोक है। धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्धकी इच्छावाले मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने क्या किया