राम भजो आराम तजो भजन
राम भजो आराम तजो राम ही जीवन सार भजन
राम भजो आराम तजो
राम ही जीवन सार सिखाये
राम ही बेडा पार लगाए
राम ही प्रेम की मूरत है
राम ही सत्य की सुरत है
राम ही भोग की सीमा है
त्याग ही राम की महिमा है
राम ही सार्थी राम ही सारथी
राम ही आदि अंत है
राम ही जीवन सार सिखाये
राम ही बेडा पार लगाए
राम ही प्रेम की मूरत है
राम ही सत्य की सुरत है
राम ही भोग की सीमा है
त्याग ही राम की महिमा है
राम ही सार्थी राम ही सारथी
राम ही आदि अंत है
राम ही शक्ति उपासना,
राम ही शान्ति साधना ।
राम ही कार्य प्रेरणा,
राम ही योग और धारणा ।
राम ही लक्ष्य है लक्ष्मण का,
हनुमान जी के प्राण हैं ॥
राम सिया राम बोलो, राम सिया राम ।
जय रधुनन्दन, जय सिया राम ।
जानकी वलभ, राजा राम ।
दशरथ नंदन राजा राम ।
कौशल चन्द्र जय श्री राम ॥
राम ही शान्ति साधना ।
राम ही कार्य प्रेरणा,
राम ही योग और धारणा ।
राम ही लक्ष्य है लक्ष्मण का,
हनुमान जी के प्राण हैं ॥
राम सिया राम बोलो, राम सिया राम ।
जय रधुनन्दन, जय सिया राम ।
जानकी वलभ, राजा राम ।
दशरथ नंदन राजा राम ।
कौशल चन्द्र जय श्री राम ॥
Raam Bhajo Aaraam Tajo (Stuti Bhajan)
Raam Bhajo Aaraam Tajo
Raam Hi Jivan Saar Sikhaaye
Raam Hi Beda Paar Lagae
Raam Hi Prem Ki Murat Hai
Raam Hi Saty Ki Surat Hai
Raam Hi Bhog Ki Sima Hai
Tyaag Hi Raam Ki Mahima Hai
Raam Hi Saarthi Raam Hi Saarathi
Raam Hi Aadi Ant Hai
Raam Hi Jivan Saar Sikhaaye
Raam Hi Beda Paar Lagae
Raam Hi Prem Ki Murat Hai
Raam Hi Saty Ki Surat Hai
Raam Hi Bhog Ki Sima Hai
Tyaag Hi Raam Ki Mahima Hai
Raam Hi Saarthi Raam Hi Saarathi
Raam Hi Aadi Ant Hai
Raam Bhajo Aaraam Tajo (Stuti Bhajan) ·
Singer : Pt Jasraj
Ram Upasana
℗ 2008 Virgin Records (India) Pvt Ltd
Released on: 2008-01-01
Composer: Kedar Pandit
Auto-generated by YouTube.
Ram Upasana
℗ 2008 Virgin Records (India) Pvt Ltd
Released on: 2008-01-01
Composer: Kedar Pandit
Auto-generated by YouTube.
यह परम शक्ति जीवन का आधार और अंत दोनों है, जो हर प्राणी के लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत बनती है। यह वह सार्थी है, जो जीवन की यात्रा में साथ चलता है, और वह सारथी है, जो सही मार्ग पर ले जाता है। भक्ति का यह भाव मनुष्य को सांसारिक सीमाओं से परे ले जाकर, उसे उस अनंत सत्य से जोड़ता है, जो जीवन का मूल आधार है। इस सत्य की उपासना और शांति की साधना में ही मनुष्य का कल्याण निहित है। यह भक्ति न केवल लक्ष्य की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है, बल्कि मन को उस प्रेम और शक्ति से भर देती है, जो हर प्राणी के जीवन को सार्थक और पूर्ण बनाती है। यह समर्पण ही वह शक्ति है, जो मनुष्य को हर बंधन से मुक्त कर, उसे परम सुख और शांति की ओर ले जाती है।
मनुष्य यदि राम का भजन करे और आराम तजे, तो उसे जीवन का सार मिल जाता है। राम ही वही शक्ति हैं जो जगत्-सागर से पार लगाने वाले नैया के खेवैया हैं। राम प्रेम की मूर्ति हैं, सत्य का वास्तविक स्वरूप हैं, और त्याग उनकी महिमा का आधार है। वे भोग की सीमा से परे हैं और त्याग के माध्यम से जीवन को शुद्ध और सार्थक करने वाले हैं। श्रीराम ही जीवन के सारथी हैं—आदि से अंत तक वही परम तत्व हैं। वे शक्ति की उपासना और शांति की साधना के प्रत्यक्ष रूप हैं। वे ही हर कार्य की प्रेरणा, योग की साधना और ध्यान की धारणा के मूल तत्व हैं। राम लक्ष्मण के लक्ष्य हैं और हनुमानजी के प्राण।
प्रभु श्रीराम के मंगलमय नाम "राम सिया राम" के जप से समाप्त होता है, जो भक्ति, प्रेम और आत्मिक शांति का अमृत है।
पंडित जसराज भारतीय शास्त्रीय संगीत के महान गायक थे, जिनका जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार जिले के पीली मंदोरी गांव में हुआ था। वे मेवाती घराने से संलग्न थे, जो खयाल गायन के लिए प्रसिद्ध है। अपनी विद्या की शुरुआत उन्होंने अपने पिता पंडित मोतीराम से की, लेकिन पिता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था, जिसके बाद बड़े भाई पंडित मणीराम ने उनका प्रशिक्षण और देखभाल की। पंडित जसराज ने 75 वर्षों से अधिक समय तक संगीत में उत्कृष्टता दिखाई और खयाल गायन में अपनी विशिष्ट शैली और जुगलबंदी की नई अवधारणा 'जसरंगी' को विकसित किया। उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण जैसे उच्च सम्मान भी प्राप्त हुए। उनके संगीत में भावनात्मक गहराई, मधुरता और तकनीकी कौशल की मिसाल दी जाती है। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी संगीत शिक्षा दी और कई शिष्यों को प्रशिक्षण दिया। पंडित जसराज का निधन 17 अगस्त 2020 को हुआ, लेकिन उनका संगीत आज भी जीवित है और शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के दिलों में अमर है।
उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ भजन गायन में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी, विशेषकर हवेली संगीत और भक्ति रचनाओं के माध्यम से, जो उनके 75 वर्षों के संगीतमय सफर में लाखों श्रोताओं को आकर्षित करती रहीं। पंडित जसराज को पद्म श्री (1975), पद्म भूषण (1990) और पद्म विभूषण (2000) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए, तथा उन्होंने भारत, अमेरिका, कनाडा और यूरोप में शिष्यों को प्रशिक्षित कर संगीत की विरासत को आगे बढ़ाया।
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Author - Saroj Jangir
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