सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना भजन
सांवली सूरत पे मोहन दिल दीवाना हो गया भजन
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया ।
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा ।
तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी ।
तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी ।
तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी ।
तीसरा घुंगरू बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा ।
तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी ।
तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे ।
तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया ॥
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा ।
तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी ।
तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी ।
तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी ।
तीसरा घुंगरू बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा ।
तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी ।
तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे ।
तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया ॥
एक ऐसा भजन जिसे सुनकर दिल खुश हो जाएगा | Sawali Surat Pe Mohan
श्री कृष्णा को मोहन और साँवरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके रूप और व्यक्तित्व में एक अद्भुत आकर्षण है। उनकी सुंदरता और उनकी करुणा सभी को आकर्षित करती है। मोहन का अर्थ है "मोह लेने वाला"। श्री कृष्णा को मोहन इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रूप और व्यक्तित्व लोगों को मोहित कर लेता है। उनकी आंखें, उनके बाल, उनकी मुस्कान, उनकी चाल, सब कुछ लोगों को उनकी ओर आकर्षित करता है।
साँवली सूरत का जादू ऐसा कि मन मोहन के रंग में रंग गया। नैनों की तिरछी चितवन, काजल की गहरी लकीर, और नज़रों का मिलना—बस, दिल बेकाबू हो चला, जैसे कोई पतंग डोर से आज़ाद हो जाए।
होंठों की पतली रेखा, लाली का रंग, और मुस्कान की चमक—हर अदा मन को बाँध लेती है। कोमल हाथों में मेहँदी, मुरली की मधुर तान—यह सब दिल को बेकरार कर देता है, मानो कोई गीत बिना रुके बहे। नाज़ुक पाँव, पायल की छनक, और घुँघरुओं का नाच—हर कदम पर प्रेम की धुन बजे।
छप्पन भोग, माखन की मिठास, और खिचड़ी का सादा स्वाद—सब में मोहन की छवि बसी है। राधा, रुक्मिणी, और मीरा की भक्ति—ये प्रेम की ऐसी माला है, जो मन को हर पल जोड़े। वह देवता, प्रियतम, और सपनों का मेहमान—हर रूप में बस वही, जिसने दिल को दीवाना बना दिया, जैसे चाँदनी रात में तारे झिलमिलाएँ।
होंठों की पतली रेखा, लाली का रंग, और मुस्कान की चमक—हर अदा मन को बाँध लेती है। कोमल हाथों में मेहँदी, मुरली की मधुर तान—यह सब दिल को बेकरार कर देता है, मानो कोई गीत बिना रुके बहे। नाज़ुक पाँव, पायल की छनक, और घुँघरुओं का नाच—हर कदम पर प्रेम की धुन बजे।
छप्पन भोग, माखन की मिठास, और खिचड़ी का सादा स्वाद—सब में मोहन की छवि बसी है। राधा, रुक्मिणी, और मीरा की भक्ति—ये प्रेम की ऐसी माला है, जो मन को हर पल जोड़े। वह देवता, प्रियतम, और सपनों का मेहमान—हर रूप में बस वही, जिसने दिल को दीवाना बना दिया, जैसे चाँदनी रात में तारे झिलमिलाएँ।
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Author - Saroj Jangir
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