दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे नैन तिरछे, दूसरा काजल लगा । तीसरा नज़रें मिलाना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे होंठ पतले, दूसरा लाली लगी । तीसरा तेरा मुस्कुराना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे हाथ कोमल, दूसरा मेहँदी लगी । तीसरा मुरली बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे पाँव नाज़ुक, दूसरा पायल बंधी । तीसरा घुंगरू बजाना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे भोग छप्पन, दूसरा माखन धरा । तीसरा खिचडे का खाना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तेरे साथ राधा दूसरा रुक्मण खड़ी । तीसरा मीरा का आना, दिल दीवाना हो गया ॥ एक तो तुम देवता हो, दूसरा प्रियतम मेरे । तीसरा सपनों में आना, दिल दीवाना हो गया ॥
श्री कृष्णा को मोहन और साँवरा इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनके रूप और व्यक्तित्व में एक अद्भुत आकर्षण है। उनकी सुंदरता और उनकी करुणा सभी को आकर्षित करती है। मोहन का अर्थ है "मोह लेने वाला"। श्री कृष्णा को मोहन इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनका रूप और व्यक्तित्व लोगों को मोहित कर लेता है। उनकी आंखें, उनके बाल, उनकी मुस्कान, उनकी चाल, सब कुछ लोगों को उनकी ओर आकर्षित करता है।
Author - Saroj Jangir
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