जब तक जगमें रहते मुझको मेरा कहने वाले भजन
जब तक जग में रहते मुझको मेरा कहने वाले,
तब तक तुम हो दूर खड़े हँसते हो सदा निराले,
जब तक रखते मोह-ग्रस्त मुझको ये डाले घेरा,
तब तक तुम कहते सकुचाते खुलकर मुझको ’मेरा,
जब तक जग के प्राणी-पदार्थों को मैं कहता मेरा,
तब तक तुमको कभी नहीं कह पाता खुलकर ’मेरा,
जब तक तुमको ही मैं मेरा नहीं बना हूँ पाता।
तब तक ’मेरे-मेरे’-का दावानल सदा जलाता॥ Jab Tak Jag Mein Rahate Mujhako Mera Kahane Vaale,
Tab Tak Tum Ho Door Khade Hansate Ho Sada Niraale,
Jab Tak Rakhate Moh-grast Mujhako Ye Daale Ghera,
Tab Tak Tum Kahate Sakuchaate Khulakar Mujhako ’mera,
Jab Tak Jag Ke Praanee-padaarthon Ko Main Kahata Mera,
Tab Tak Tumako Kabhee Nahin Kah Paata Khulakar ’mera,
Jab Tak Tumako Hee Main Mera Nahin Bana Hoon Paata.
Tab Tak ’mere-mere’-ka Daavaanal Sada Jalaata.
जब तक जगमें रहते मुझको मेरा कहने वाले भजन
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
सपनो के नीद में ही यह रात ढल न जाये
पल भर का क्या भरोसा कही जान निकल न जाये
गिनती की है सवासे युही ही लुटा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
जाये गा जब यहाँ से कोई न साथ देगा
इस हाथ जो दिया उस हाथ जाके लेगा
कर्मो की है खेती फल आज पा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
ममता के बन्धनों ने क्यों आज तुज्को घेरा
सुख में सभी है साथी कोई नहीं है तेरा
तेरा ही मोह तुझको कब से रुला रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
जब तक है भेद मन्न में भगवान से जुदा है
खोलो जो दिल के दर्पण इस घर में ही खुदा है
सुख रूप हो कर भी दुःख आज पा रहा है
किस और तेरी मंजिल किस और जा रहा है
अनमोल तेरा जीवन यूँही गँवा रहा है
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Author - Saroj Jangir
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