अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी भजन
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी भजन
अंखियाँ हरि दरसन की प्यासी।
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ,
निसि-दिन रहति उदासी।।
आए ऊधै फिरि गए आँगन,
डारि गए गर फांसी।
केसरि तिलक मोतिन की माला,
वृन्दावन के बासी।।
काहू के मन को कोउ न जानत,
लोगन के मन हांसी।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ,
करवत लैहौं कासी।।
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ,
निसि-दिन रहति उदासी।।
आए ऊधै फिरि गए आँगन,
डारि गए गर फांसी।
केसरि तिलक मोतिन की माला,
वृन्दावन के बासी।।
काहू के मन को कोउ न जानत,
लोगन के मन हांसी।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ,
करवत लैहौं कासी।।
AKHIYAN HARI DARSHAN KO PYASI | VERY BEAUTIFUL SONG POPULAR KRISHNA BHAJAN ( FULL SONG )
हृदय की तड़प हरि के दर्शन को तरसती है। कमल-नयन की एक झलक के लिए आत्मा दिन-रात बेचैन रहती है, जैसे प्यासा मृग जल के बिना तड़पता है। प्रभु का आगमन आशा जगाता है, पर उनका चले जाना मन को खालीपन से भर देता है। जैसे आँगन में फूलों की माला सूखकर बिखर जाती है, वैसे ही बिना दर्शन के जीवन फीका पड़ता है।
केसर-तिलक और मोतियों की माला से सजा वृंदावन का वह बांके बिहारी, जिसके दर्शन की आस हर पल मन में बसती है। दुनिया के लोग हँसें या अनजान बने, भक्त का मन तो बस प्रभु की खोज में डूबा है। सूरदास की तरह, भक्त काशी की कठिन तपस्या भी स्वीकार कर लेता है, अगर उससे प्रभु का एक दर्शन मिल जाए। सच्चा भक्त वही, जो हरि के प्रेम में डूबकर दुनिया की हँसी को भूल जाता है।
केसर-तिलक और मोतियों की माला से सजा वृंदावन का वह बांके बिहारी, जिसके दर्शन की आस हर पल मन में बसती है। दुनिया के लोग हँसें या अनजान बने, भक्त का मन तो बस प्रभु की खोज में डूबा है। सूरदास की तरह, भक्त काशी की कठिन तपस्या भी स्वीकार कर लेता है, अगर उससे प्रभु का एक दर्शन मिल जाए। सच्चा भक्त वही, जो हरि के प्रेम में डूबकर दुनिया की हँसी को भूल जाता है।
Singer :- Trisha Parui
music by :- gourab shome
music by :- gourab shome
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