मेरी दुनिया तुम ही हो दुनिया से क्या मांगूं

मेरी दुनिया तुम ही हो दुनिया से क्या मांगूं

 मेरी दुनिया तुम ही हो, दुनिया से क्या मांगूं,
जब बिन बोले मिलता, तो बोल के क्या मांगूं।।
मेरी दुनिया तुम ही हो, दुनिया से क्या मांगूं...

धन-दौलत क्या मांगूं, मुस्कान ये दी तुमने,
हम जैसे बच्चों को, पहचान है दी तुमने।।
किस्मत को बनाते हो, तो किस्मत से क्या मांगूं,
मेरी दुनिया तुम ही हो, दुनिया से क्या मांगूं...

कोई मुझसे अगर पूछे, जन्नत कैसी होगी,
दावे से कह दूंगा, 'नाकोड़ा' जैसी होगी।।
जीते जी स्वर्ग मिला, तो मरकर क्या मांगूं,
मेरी दुनिया तुम ही हो, दुनिया से क्या मांगूं...

भक्ति की बदौलत ही, दुनिया का प्यार मिला,
मुझे ये परिवार मिला, ऐसा संसार मिला।।
तेरी भक्ति करता रहूं, कर जोड़ यही मांगूं,
मेरी दुनिया तुम ही हो, दुनिया से क्या मांगूं...


मेरी दुनिया तुम हो, दुनिया से...|Nirankari song

तुम ही मेरी दुनिया हो, फिर और क्या चाहिए? बिना माँगे सब कुछ दे देने वाला तू, तो माँगने की क्या जरूरत? धन-दौलत की चाह नहीं, क्योंकि तुमने मुस्कान दी, हम जैसे साधारण को पहचान दी। किस्मत को तूने संवारा, तो किस्मत से अब क्या उम्मीद?

जन्नत की बात हो, तो नाकोड़ा का नाम लेता हूँ—जीते-जी स्वर्ग दिखाया, मरने के बाद और क्या चाहिए? भक्ति के रास्ते पर चलकर तेरा प्यार मिला, यह परिवार मिला, ऐसा संसार मिला। बस एक ही अरज—तेरी भक्ति में डूबा रहूँ, दोनों हाथ जोड़ यही माँगता हूँ। तू मेरी दुनिया है, दुनिया से और क्या चाहिए?

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