कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।
कर्म किए जा फल की चिंता ना कर, मतलब की इस दुनिया में उलझा ना कर, बिन मांगे जब श्याम ने तुझको सब दिया, फिर डर को तू दिल में रखता क्यों रे।
एक बीज जो धरती में पड़ता है, बरसों बाद वो वृक्ष बनता है, तू बस धरती में कर्म को बोता चल, फल मिलेगा सही वक्त पे मिलता है।
जो आया है इक दिन चला जायेगा, खाली हाथ है, खाली ही रह जायेगा, पर जिसने हर श्वास में श्याम को जपा, वो अमर होके प्रेम में खो जायेगा।
आंधी भी आए तो दीपक ना बुझे, जो कृष्ण का है वो हिम्मत ना खोए, सच्चे भाव से सेवा जो करता है, श्याम उसकी नैया खुद खेता है।
बस नाम तेरा लूं बस सेवा करूं, जो दे तू चाहे उसे सिर धरूं, ना जीत की चिंता ना हार का गम, बस राधा के द्वारे पे बैठा रहूं।
हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए ना कि उसके फल की चिंता करनी चाहिए। संसार स्वार्थ से भरा हुआ है। श्री कृष्ण ने हमें बिना मांगे सब कुछ दिया है इसलिए हमें भय त्यागकर कर्म करना चाहिए। जैसे बीज धरती में पड़ने के बाद समय लेकर वृक्ष बनता है वैसे ही हमारे कर्मों का फल भी उचित समय पर मिलता है। यह संसार नश्वर है। जो कृष्ण का नाम जपता है वो प्रेम में अमर हो जाता है। जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, सच्चे भाव से सेवा करने वाले की नैया स्वयं श्याम पार लगाते हैं। जय श्री श्याम।
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