गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार

गोरख नाथ चालीसा जानिये अर्थ और महत्त्व

गोरखनाथ चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक इस चालीसा का 12 बार पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। गोरखनाथ जी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है। इसके अतिरिक्त, यह भी माना जाता है कि गोरखनाथ चालीसा के पाठ से भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है, और साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है।
दोहा गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार |
हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार ||
चोपाई
जय जय जय गोरख अविनाशी | कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ||
जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी | इच्छा रूप योगी वरदानी ||
अलख निरंजन तुम्हरो नामा | सदा करो भक्त्तन हित कामा ||
नाम तुम्हारो जो कोई गावे | जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ||
जो कोई गोरख नाम सुनावे | भूत पिसाच निकट नहीं आवे||
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे | रूप तुम्हारा लख्या न जावे ||
निराकार तुम हो निर्वाणी | महिमा तुम्हारी वेद न जानी ||
घट - घट के तुम अंतर्यामी | सिद्ध चोरासी करे परनामी ||
भस्म अंग गल नांद विराजे | जटा शीश अति सुन्दर साजे ||
तुम बिन देव और नहीं दूजा | देव मुनिजन करते पूजा ||
चिदानंद संतन हितकारी | मंगल करण अमंगल हारी ||
पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी | गोरख नाथ सकल प्रकाशी ||
गोरख गोरख जो कोई धियावे | ब्रह्म रूप के दर्शन पावे ||
शंकर रूप धर डमरू बाजे | कानन कुंडल सुन्दर साजे ||
नित्यानंद है नाम तुम्हारा | असुर मार भक्तन रखवारा ||
अति विशाल है रूप तुम्हारा | सुर नर मुनि जन पावे न पारा ||
दीनबंधु दीनन हितकारी | हरो पाप हम शरण तुम्हारी ||

योग युक्ति में हो प्रकाशा | सदा करो संतान तन बासा ||
प्रात : काल ले नाम तुम्हारा | सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा ||
हठ हठ हठ गोरछ हठीले | मर मर वैरी के कीले ||
चल चल चल गोरख विकराला | दुश्मन मार करो बेहाला ||
जय जय जय गोरख अविनाशी | अपने जन की हरो चोरासी ||
अचल अगम है गोरख योगी | सिद्धि दियो हरो रस भोगी ||
काटो मार्ग यम को तुम आई | तुम बिन मेरा कोन सहाई ||
अजर अमर है तुम्हारी देहा | सनकादिक सब जोरहि नेहा ||
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा | है प्रसिद्ध जगत उजियारा ||
योगी लखे तुम्हारी माया | पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ||
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे | अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ||
शिव गोरख है नाम तुम्हारा | पापी दुष्ट अधम को तारा ||
अगम अगोचर निर्भय नाथा | सदा रहो संतन के साथा ||
शंकर रूप अवतार तुम्हारा | गोपीचंद, भरथरी को तारा ||
सुन लीजो प्रभु अरज हमारी | कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ||
पूर्ण आस दास की कीजे | सेवक जान ज्ञान को दीजे ||
पतित पवन अधम अधारा | तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ||
अखल निरंजन नाम तुम्हारा | अगम पंथ जिन योग प्रचारा ||
जय जय जय गोरख भगवाना | सदा करो भक्त्तन कल्याना ||
जय जय जय गोरख अविनाशी | सेवा करे सिद्ध चोरासी ||
जो यह पढ़े गोरख चालीसा | होए सिद्ध साक्षी जगदीशा ||
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे | और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ||
बारह पाठ पढ़े नित जोई | मनोकामना पूर्ण होई ||
 

Shree Gorakh Nath Chalisa (Full Song) श्री गोरख नाथ चालीसा

गुरु गोरखनाथ, जिन्हें गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है, नाथ संप्रदाय के प्रमुख योगी और संत थे। उन्होंने भारत में योग और साधना की परंपराओं को व्यापक रूप से प्रचारित किया। गोरखनाथ के नाम पर उत्तर प्रदेश का गोरखपुर शहर प्रसिद्ध है, जहां उनका प्रमुख मंदिर स्थित है।


गोरखनाथ ने अपने गुरु मत्स्येन्द्रनाथ से शिक्षा प्राप्त की और हठयोग की परंपरा को आगे बढ़ाया। उनकी शिक्षाओं ने योग, तंत्र और साधना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गोरखनाथ के शिष्यों को 'कानफटा' या 'नाथ योगी' के नाम से जाना जाता है।

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