तेरे फूलों से भी प्यार तेरे काँटों से भजन

तेरे फूलों से भी प्यार तेरे काँटों से भी प्यार

तेरे फूलों से भी प्यार,
तेरे काँटों से भी प्यार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

चाहे सुख दे या दुख
चाहे खुशी दे या ग़म,
मालिक जैसे भी रखोगे,
वैसे रह लेंगें हम,
चाहे काँटों के दे हार,
चाहे हरा भरा संसार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

हमको दोनों हैं पसंद,
तेरी धूप और छांव,
दाता किसी भी दिशा में ले चल,
जिंदगी की नाव,
चाहे हमें लगा दे पार,
चाहे छोड़ हमें मझधार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

तेरी मर्जी में विधाता,
कोई छुपा बड़ा राज,
दुनिया चाहे हमसे रूठे,
तू ना होना बस नाराज़,
तुमको नमन है बारंबार,
हमको कर ले तू स्वीकार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

हमपे किरपा ये करना,
तुमसें बनी रहे प्रीत,
मेरी श्रद्धा ना डोले,
चाहें सब हो विपरीत,
तेरा हितकारी है प्यार,
तुम ही हो जीवन का सार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

हमसे छीन ले तू सब,
पर दे भक्ति-दान,
बाकी फीके सुख सारे,
झूठी है ये तन की शान,
तुम ही जीवन के आधार,
तुम ही मेरे हो सरकार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

तेरे फूलों से भी प्यार,
तेरे काटों से भी प्यार,
तू जो भी देना चाहे दे दे,
मेरे सरकार।

Tere Phoolo Se Bhi Pyar Tere Kanto Se Bhi Pyar by Shri Chitra Vichitra Ji Maharaj

Tere Phoolon Se Bhee Pyaar,
Tere Kaanton Se Bhee Pyaar,
Too Jo Bhee Dena Chaahe De De,
Mere Sarakaar.
तेरे फूलों से भी प्यार, तेरे काँटों से भी प्यार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

तेरी मर्जी में विधाता, कोई छुपा बड़ा राज
दुनिया चाहे हमसे रूठे, तू ना होना बस नाराज़
तुमको नमन है बारंबार, हमको कर ले तू स्वीकार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

हमपे किरपा ये करना, तुमसें बनी रहे प्रीत
मेरी श्रद्धा ना डोले, चाहें सब हो विपरीत
तेरा हितकारी है प्यार, तुम ही हो जीवन का सार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

हमसे छीन ले तू सब, पर दे भक्ति-दान
बाकी फीके सुख सारे, झूठी है ये तन की शान
तुम ही जीवन के आधार, तुम ही मेरे हो सरकार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

चाहे सुख दे या दुःख, चाहे खुशी दे या गम
मालिक जैसे भी रखेंगे, वैसे रह लेंगें हम
चाहे काँटों के दे हार, चाहे हरा-भरा संसार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

हमको दोनों हैं पसंद, तेरी धूप और छांव
दाता किसी भी दिशा में ले चल, जिंदगी की नाव
चाहे हमें लगा दे पार, चाहे छोड़ हमें मझधार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार

उसको काहें की फिकर, जिसके सर पे तेरा हाथ
रक्षक तू ही तो हमारा, फिर डरने की क्या बात
चाहें कष्ट हों लाख हज़ार, चाहें खुशियों की बहार
जो भी देना चाहें दे दे करतार, दुनिया के तारणहार
 
प्रभु, तुम्हारी हर देन स्वीकार है—चाहे फूलों की माला हो या काँटों का हार। सुख-दुख, धूप-छाँव, सब तुम्हारी मर्जी में बंधा है, और हर हाल में तुम्हारा साथ ही जीवन का आधार है। जैसे नदी अपने प्रवाह में सागर को स्वीकार करती है, वैसे ही मन तुम्हारी इच्छा को अपनाता है।

संत का हृदय कहता है—मालिक, जैसा रखो, वैसा रहूँ, बस तुम्हारी भक्ति का दीप जलता रहे। चिंतक का मन विचारता है—जब सरकार की मर्जी में ही सब समाया है, तो श्रद्धा के सिवा और क्या चाहिए? धर्मगुरु की सीख है—दुनिया रूठे तो रूठे, पर प्रभु का प्रेम और भक्ति का दान माँगो, क्योंकि वही जीवन का सच्चा सार है।

हे दाता, सब छीन लो, पर अपनी भक्ति दे दो। तुम्हारा प्यार ही हितकारी है, तुम ही मेरे सरकार। बस, यह प्रार्थना है—मुझे अपनी शरण में स्वीकार करो, और जो देना चाहो, वह दे दो, क्योंकि तुम्हारे फूल और काँटे, दोनों से प्यार है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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