नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा

नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा

नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा।
तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं ज्यूं तारा बिच चंदा।
सब सखियन में राधा जी बड़ी हैं ज्यूं नदियन बिच गंगा
ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे नरसिंह रूप धरता।
कालीदह में नाग ज्यों नाथो फण-फण निरत करता
वृन्दावन में रास रचायो नाचत बाल मुकुन्दा।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फंदा॥
 

नटवर नागर नंदा भजो रे मन गोविंदा I Pujya Prembhushanji Maharaj I New Bhajan

 
श्रीकृष्ण, जिन्हें 'नटवर' और 'नागर' के रूप में जाना जाता है, अपने बाल्यकाल से ही अद्वितीय लीलाओं के माध्यम से भक्तों के हृदय में बसे हैं। उनका श्याम सुंदर मुख चंद्रमा के समान मनोहर है, जो सभी को आकर्षित करता है। सभी देवताओं में वे ऐसे प्रमुख हैं जैसे तारों के बीच चंद्रमा, और सखियों में राधाजी का स्थान उसी प्रकार सर्वोच्च है जैसे नदियों में गंगा का। ध्रुव और प्रह्लाद की रक्षा के लिए उन्होंने नरसिंह रूप धारण किया, कालिय नाग का दमन किया, और वृंदावन में रास रचाकर गोपियों के साथ नृत्य किया।

प्रभु के प्रेम में डूबा मन जब उनके गुणों का गान करता है, तब हर सांस उनकी भक्ति में रम जाती है। नटवर नागर, गोविंद का वह रूप, जो मन को मोह लेता है, हृदय को सदा उनकी ओर खींचता है। उनका मुख चंद्रमा सा सुंदर, उनकी लीला अनंत—यह छवि मन में ऐसी बसती है, जैसे तारों के बीच चंद्रमा चमकता है। जैसे कोई भक्त अपने प्रिय की एक झलक के लिए तड़पता है, वैसे ही मन गोविंद के रंग में डूबकर सारी माया भूल जाता है।

राधा और कृष्ण का युगल प्रेम उस पवित्र बंधन का प्रतीक है, जो भक्त को प्रभु से जोड़ता है। राधा सखियों में गंगा सी पवित्र, और कृष्ण देवों में सर्वोत्तम—यह प्रेम और भक्ति की वह ऊँचाई है, जो मन को सदा प्रभु के चरणों में ले जाती है। उनकी लीलाएँ, चाहे ध्रुव और प्रहलाद का उद्धार हो, कालिया नाग का दमन हो, या वृंदावन में रास रचाना—हर कथा मन को यह विश्वास दिलाती है कि प्रभु सदा अपने भक्त की रक्षा करते हैं।

वृंदावन की कुंज गलियों में मुरली की तान और रास की मस्ती उस अलौकिक प्रेम की झलक है, जो भक्त को प्रभु में लीन कर देती है। यह मस्ती केवल नृत्य नहीं, बल्कि आत्मा का वह उत्सव है, जो प्रभु के साथ एक होने का सुख देता है। जैसे कोई नदी सागर में समा जाती है, वैसे ही भक्त का मन गोविंद की भक्ति में विलीन हो जाता है।

मीरा का अपने गिरधर से यम के फंदे काटने की प्रार्थना उस अटूट विश्वास को दर्शाती है, जो प्रभु को जीवन का एकमात्र सहारा मानता है। यह विश्वास कि प्रभु सदा साथ हैं, मन को हर भय से मुक्त कर देता है। उनका नाम, उनकी लीला, और उनकी भक्ति ही वह दीप है, जो हृदय को सदा प्रभु के प्रकाश में डुबोए रखता है, और जीवन को उनके प्रेम का एक अनंत गीत बना देता है।

Next Post Previous Post