अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज
अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज मीरा भजन
अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज।
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥
भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज।
गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥
जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज।
मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज॥
समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥
भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज।
गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥
जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज।
मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज॥
प्रभु की शरण में जब मन समर्पित होता है, तब वह उनके प्रेम की बाहों में बंध जाता है। यह विश्वास कि प्रभु अपने भक्त की लाज सदा रखते हैं, हृदय को हर भय से मुक्त कर देता है। जैसे कोई थका पथिक विशाल वृक्ष की छाँव में सुकून पाता है, वैसे ही भक्त प्रभु की शरण में आकर सारी चिंताएँ भूल जाता है। उनकी कृपा वह शक्ति है, जो हर कार्य को सिद्ध करती है और जीवन को अर्थ देती है।
संसार का भवसागर गहरा और भयावह है, पर प्रभु उसमें एक अडिग नाव हैं। उनका सहारा लेने वाला कभी डूबता नहीं, बल्कि उनके प्रेम की धारा में बहकर मोक्ष के तट तक पहुँच जाता है। गिरधर, जो जगत के आधार हैं, उनके बिना जीवन की हर साँस अधूरी है। जैसे कोई दीया बिना तेल के नहीं जलता, वैसे ही मन बिना प्रभु की भक्ति के सूना रहता है।
युगों-युगों से प्रभु ने अपने भक्तों की पुकार सुनी है, उनकी रक्षा की है, और उन्हें मुक्ति का मार्ग दिखाया है। यह प्रेम का वह अटूट बंधन है, जो भक्त को प्रभु के चरणों से सदा जोड़े रखता है। जैसे मीरा अपने प्रभु की शरण में लीन होकर उनकी लाज माँगती है, वैसे ही सच्चा भक्त अपने आपको पूर्णतः प्रभु को सौंप देता है।
प्रभु का नाम, उनकी शरण, और उनकी भक्ति ही वह ज्योति है, जो हृदय को सदा प्रकाशित रखती है। यह विश्वास कि प्रभु सदा साथ हैं, मन को ऐसी शांति देता है, जो संसार के किसी सुख में नहीं मिलती। उनके चरणों में ठहरा मन न केवल सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है, बल्कि प्रभु के प्रेम में डूबकर अनंत सुख का अनुभव करता है।
संसार का भवसागर गहरा और भयावह है, पर प्रभु उसमें एक अडिग नाव हैं। उनका सहारा लेने वाला कभी डूबता नहीं, बल्कि उनके प्रेम की धारा में बहकर मोक्ष के तट तक पहुँच जाता है। गिरधर, जो जगत के आधार हैं, उनके बिना जीवन की हर साँस अधूरी है। जैसे कोई दीया बिना तेल के नहीं जलता, वैसे ही मन बिना प्रभु की भक्ति के सूना रहता है।
युगों-युगों से प्रभु ने अपने भक्तों की पुकार सुनी है, उनकी रक्षा की है, और उन्हें मुक्ति का मार्ग दिखाया है। यह प्रेम का वह अटूट बंधन है, जो भक्त को प्रभु के चरणों से सदा जोड़े रखता है। जैसे मीरा अपने प्रभु की शरण में लीन होकर उनकी लाज माँगती है, वैसे ही सच्चा भक्त अपने आपको पूर्णतः प्रभु को सौंप देता है।
प्रभु का नाम, उनकी शरण, और उनकी भक्ति ही वह ज्योति है, जो हृदय को सदा प्रकाशित रखती है। यह विश्वास कि प्रभु सदा साथ हैं, मन को ऐसी शांति देता है, जो संसार के किसी सुख में नहीं मिलती। उनके चरणों में ठहरा मन न केवल सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है, बल्कि प्रभु के प्रेम में डूबकर अनंत सुख का अनुभव करता है।
This shabad is published by Radha Soami Satsang Beas.