रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर भजन

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर भजन

रघुकुल प्रगटे हैं रघुबीर
देस देस से टीको आयो रतन कनक मनि हीर
घर घर मंगल होत बधाई भै पुरवासिन भीर
आनंद मगन होइ सब डोलत कछु ना सौध शरीर
मागध बंदी सबै लुटावैं गौ गयंद हय चीर
देत असीस सूर चिर जीवौ रामचन्द्र रणधीर

राम जनम गीत -'रघुकुल प्रगटे हैं रघुवीर'-"सूरदासजी"/ गायक-"भोला"

झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।

जय माला लिए,
कब से है ठाड़ी,
दूखन लागों शरीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।

तुम तो हो राम जी,
अयोध्या के राजा,
और हम है जनक के गरीब,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।

लक्ष्मण ने भाभी की,
दुविधा पहचानी,
राम जी के चरणो में,
वो झुक गए है ज्ञानी,
सब कहे जय जय रघवीर,
प्रभु जी क्या जोड़ी है,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।

झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।

रघुकुल में राम का प्राकट्य हुआ, तो जैसे सृष्टि में उजाला छा गया। दूर-दूर से लोग सोना, रत्न, हीरे लेकर अयोध्या आए, मानो सारा संसार प्रभु के चरणों में समर्पित हो उठा। हर घर में मंगल गीत गूंजे, बधाइयों की भीड़ लगी, जैसे उत्सव ने हर हृदय को बाँध लिया। लोग आनंद में डूबे, देह की सुध भूले, बस राम के दर्शन में खो गए।

गायक और मागध उनकी महिमा गाते, गाय, घोड़े, वस्त्र बाँटे गए, जैसे दान की गंगा बही। ऋषि-मुनि आशीष देते—रामचंद्र, रणधीर, चिरंजीवी रहें। यह वह क्षण था, जब प्रेम, भक्ति और श्रद्धा एक हो गए। राम का आगमन सिर्फ अयोध्या का नहीं, हर मन का उत्सव है। उनके नाम में ही सुख, शांति और साहस बसता है। बस, इस प्रेम में डूब जाओ, क्योंकि राम सदा साथ हैं।

सिया के प्रेम में रघुवीर का झुकना भक्ति और विनम्रता का अनुपम संगम है। जनक की लाड़ली, छोटी सी सिया, जयमाला लिए खड़ी है, शरीर थक रहा है, पर मन में प्रभु के प्रति अटल श्रद्धा है। राम, अयोध्या के राजा, बलवीर, फिर भी प्रेम के आगे झुकते हैं, जैसे सागर तट को गले लगाए। जनक का गरीब हृदय पुकारता है, और राम उस पुकार को सुन लेते हैं।

लक्ष्मण, ज्ञानी भाई, भाभी की दुविधा समझते हैं और राम के चरणों में प्रेम का यह दृश्य सजा देते हैं। सिया और राम का मिलन सिर्फ दो हृदयों का नहीं, सत्य और प्रेम का बंधन है। सब जय-जयकार करते हैं, क्योंकि यह जोड़ी अनंत काल तक प्रेरणा देती है। राम का झुकना सिखाता है—महानता ताकत में नहीं, प्रेम और करुणा में है। सिया के लिए झुके राम, और हर भक्त के लिए सदा झुकते हैं। बस, मन से पुकारो, प्रभु सदा पास हैं।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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