राम करे सो होय भजन मुकेश कुमार

राम करे सो होय भजन मुकेश कुमार

"राम" का संबंध "रा" (प्रकाश) और "म" (आनंद या मन) से भी जोड़ा जाता है, जिसका अर्थ हुआ "प्रकाशमय आनंद"। "राम" शब्द "रम" धातु (रम) से निकला है, जिसका अर्थ है "रमण करना" (खुश होना, आनंद लेना)। इसमें "आ" प्रत्यय जोड़कर यह एक व्यक्तिवाचक संज्ञा बनता है, जिसका अर्थ हुआ "वह जो आनंद देता है" या "आनंदमय"। श्री राम ही मुक्ति का आधार हैं, श्री राम।
 

राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत,
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत,
राम करे सो होय रे मनवा राम करे सो होये,
कोमल मन काहे को दुखाये काहे भरे तोरे नैना,
जैसी जाकी करनी होगी वैसा पड़ेगा भरना,
काहे धीरज खोये रे मनवा काहे धीरज खोये,
पतित पावन नाम है वाको रख मन में विश्वास,
कर्म किये जा अपना रे बंदे छोड़ दे फल की आस,
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा राह दिखाऊँ तोहे,



Spiritual song by Mukesh..राम करे सो होय रे मनवा,RAM kare so hoy..Happy Deepavali 2013

 राम करे सो होय,
राम झरोखे बैठ के सब का मुजरा लेत,
जैसी जाकी चाकरी वैसा वाको देत,
राम करे सो होय रे मनवा राम करे सो होये,

कोमल मन काहे को दुखाये काहे भरे तोरे नैना,
जैसी जाकी करनी होगी वैसा पड़ेगा भरना,

काहे धीरज खोये रे मनवा काहे धीरज खोये,

पतित पावन नाम है वाको रख मन में विश्वास,
कर्म किये जा अपना रे बंदे छोड़ दे फल की आस,
राह दिखाऊँ तोहे रे मनवा राह दिखाऊँ तोहे,
चित्रकूट सब दिन बसत प्रभु सिय लखन समेत,
राम नाम जप जापकहि तुलसी अभिमत देत,

राम झरोखे से सबकी लीला देखते हैं, हर किसी को उसकी करनी का फल देते हैं। जैसे कुम्हार मिट्टी को गढ़ता है, वैसे ही राम की इच्छा में सब कुछ घटित होता है। मन को दुखी करने से क्या हासिल? आँसुओं का बोझ क्यों ढोना? जो जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल पाता है।

धैर्य खोने से राह नहीं मिलती। राम का नाम पतितों को तारने वाला है; उनके प्रति विश्वास रखो। कर्म करो, पर फल की आशा छोड़ दो। जैसे नदी किनारे की तलाश में बहती है, वैसे ही राम की शरण मन को सही मार्ग दिखाती है। सच्चा भक्त वही, जो राम के भरोसे कर्म करता है और मन को उनकी कृपा में स्थिर रखता है।
 
भाव है की इश्वर झरोखे से सभी को निहारते हैं और उनकी चाकरी/ भक्ति के आधार पर सभी को परिणाम देते हैं। व्यक्ति सोचता है की वह करता है लेकिन सत्य यही है की राम जो करते हैं वही होता है। तुम काहे को अपने कोमल मन को कष्ट देते हो, क्यों अपने नयनों में आंसू को भरते हो।  भजन में कर्म और फल का सुन्दर चित्रण है, जीवन के कर्मों और फलों के बीच एक संतुलन है। इस भजन में राम को झरोखे से बैठकर सबके कार्यों का निरीक्षण करने वाले के रूप में दर्शाया गया है, जहां हर व्यक्ति की चाकरी के अनुसार फल मिलता है। इसका अर्थ है कि जीवन में जो भी होता है, वह राम की इच्छा से होता है, इसलिए मन को धीरज रखते हुए कर्म करना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। भजन कोमल मन को दुख से बचाने और धीरज बनाए रखने की सीख देता है, क्योंकि जैसी करनी होगी, वैसा ही भरना पड़ेगा। पतित पावन राम नाम पर विश्वास करने और निष्काम कर्म करने की प्रेरणा देता है।

Song : Ram kare so hoye re manva..a soulful devotional song
Singer : Mukesh (mukeshchand Mathur)
Music Director : Naresh Bhattacharya,
Movie : Non Film ,
Lyrics : Traditional

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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