जय जय जय रविदेव श्री सूर्यदेव की आरती Shri Surya Dev Aarti Hindi

श्री सूर्यदेव की आरती Shri SuryaDev Aarti आरती संग्रह | आरती लिरिक्स हिंदी


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सूर्य (जिसे आदित्य भी कहा जाता है) उन्हें ब्रह्मांड का निर्माता और सभी जीवन का स्रोत माना जाता है। वह सर्वोच्च आत्मा है जो दुनिया को प्रकाश और गर्मी देता है। सात घोड़ों द्वारा खींचे गए उनके स्वर्ण रथ में और लाल अरुणा द्वारा संचालित, वह हर दिन आकाश में यात्रा करते हैं। उत्तर भारत के उड़ीसा में कोणार्क में देवता का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। सूर्य हिंदू पौराणिक कथाओं में सूर्य

देवता का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्या को तीन आंखों और चार भुजाओं वाले एक लाल आदमी के रूप में चित्रित किया गया है, जो सात समुद्रों वाली गाड़ी में सवार है। सूर्या ने अपने दो हाथ पानी की लिली से पकड़े। वह अपने तीसरे हाथ से अपने उपासकों को प्रोत्साहित करता है, जिन्हें वह अपने चौथे हाथ से आशीर्वाद देता है। सूर्या को भारत में एक दयालु देवता माना जाता है जो बीमार लोगों को ठीक कर सकता है। आज भी लोग सूर्य का प्रतीक दुकानों में रखते हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह भाग्य लाता है ।

जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव|
रजनीति मदहारी शतदल जीवन दाता|
षटपद मन मुदकारी हे दिनमणि ताता|
जग के हे रविदेव जय जय जय रविदेव|
नभमंडल के वासी ज्योति प्रकाशक देवा|
निज जनहित सुखरासी तेरी हम सब सेवा||
करते हैं रविदेव जय जय जय रविदेव|
कनक बदनमन मोहित रूचिर प्रभा प्यारी||
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव||
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।। 
 

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