पैरों में पैजनियां, सोलह कंगन हाथ में, बस तेरी ही खातिर ढोला, मैं पहन के नाचूं रात में।
छनन छन चूड़ी आज यही बोले, छनन छन चूड़ी आज यही बोले, देख कर उसे जियारा म्हारो डोले हां।
छनन छन चूड़ी आज यही बोले, देख कर उसे जियारा म्हारो डोले, चोरी चोरी लड़ते लड़ते, चोरी चोरी लड़ते लड़ते, नजर लड़ी ऐसी रे।
दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी रे, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी रे, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी रे, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी।
होली आई हवा में उड़ता जाए है गुलाल री, चढ़ा महीना फागुन का तू दिल को जरा संभाल री, घूंघट सरकाया थोड़ा कि पिया को अपने देख ले, पिया ने रंग लेकर रंग डाले गोरे गोरे गाल री।
महंगी है चुनरिया मेरी, जड़े इस पे चांद रे, महंगी है चुनरिया मेरी, जड़े इस पे चांद रे, देखे तो झूमें ढोला, देखे तो झूमें ढोला, देखे तो झूमें, ऐसे सब्र के टूटे बांध रे।
खनन खन नाचे धड़कनें मेरी, नाचती जाएं याद में तेरी, सीना जोरी करते करते, चोरी चोरी लड़ते लड़ते, नजर लड़ी ऐसी रे।
दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी रे, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी रे, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी, दिल म्हारो ले गयो छोरा परदेसी।
होली आई हवा में उड़ता जाए है गुलाल री, चढ़ा महीना फागुन का तू दिल को जरा संभाल री, घूंघट सरकाया थोड़ा कि पिया को अपने देख ले, पिया ने रंग लेकर रंग डाले गोरे गोरे गाल री।
हरियाणवी लोकगीत हरियाणा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनमें प्रेम, वीरता, त्योहारों और ग्रामीण जीवन की झलक देखने को मिलती है। रागिनी, सांग, और ठेठ लोकगीत यहां के मुख्य संगीत रूप हैं, जिन्हें बड़े ही उत्साह से गाया जाता है। ये गीत पारंपरिक वाद्ययंत्रों जैसे ढोलक, इकतारा और बैंजो की धुन पर गाए जाते हैं। हरियाणवी लोकगीत मनोरंजन का माध्यम भी हैं और समाज को जोड़ने और लोक परंपराओं को जीवंत रखने का काम भी करते हैं।