सभा है भरी भगवन भीर पड़ी भजन
सभा है भरी भगवन भीर पड़ी भजन
सभा है भरी भगवन ,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
पति मोये हारी ये ना बिचारी,
कैसे सभा में आवती नारी,
बाजी लगी थी भगवन कपट भरी,
आवो तो आवो हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
हो दुष्ट दु:शासन वस्त्र बिलोचन,
खेंच रह्यो मेरे बदन को वासन |
नग्न करण की मन मं करी,
आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
भीष्म पितामह, द्रोण गुरू देवा,
बैठे विदुरजी धर्म के खेवा,
सब की मति में भगवन्, धुळ पड़ी,
आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
हाथ पसारो, लाज उबारो,
सत्य कहूं प्रभु बेगा पधारो,
देवकीनंदन गावै, बणा बिगड़ी,
आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
पति मोये हारी ये ना बिचारी,
कैसे सभा में आवती नारी,
बाजी लगी थी भगवन कपट भरी,
आवो तो आवो हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
हो दुष्ट दु:शासन वस्त्र बिलोचन,
खेंच रह्यो मेरे बदन को वासन |
नग्न करण की मन मं करी,
आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
भीष्म पितामह, द्रोण गुरू देवा,
बैठे विदुरजी धर्म के खेवा,
सब की मति में भगवन्, धुळ पड़ी,
आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
हाथ पसारो, लाज उबारो,
सत्य कहूं प्रभु बेगा पधारो,
देवकीनंदन गावै, बणा बिगड़ी,
आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी,
सभा है भरी भगवन,
भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
सभा है भरी भगवन , भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
किसविध देर करी || सभा है भरी ||
पति मोये हारी ये ना बिचारी, कैसे सभा में आवती नारी |
बाजी लगी थी भगवन कपट भरी, आवो तो आवो हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
हो दुष्ट दु:शासन वस्त्र बिलोचन, खेंच रह्यो मेरे बदन को वासन |
नग्न करण की मन मं करी, आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
भीष्म पितामह, द्रोण गुरू देवा, बैठे विदुरजी धर्म के खेवा |
सब की मति में भगवन्, धुळ पड़ी, आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
हाथ पसारो, लाज उबारो, सत्य कहूं प्रभु बेगा पधारो |
देवकीनंदन गावै, बणा बिगड़ी, आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
राम कहो राम कहो, राम कहो बावरे।
अवसर न चूक भोंदू, पायो भला दाँवरे॥१॥
जिन तोकों तन दीन्हों, ताकौ न भजन कीन्हों।
जनम सिरानो जात, लोहे कैसो ताव रे॥२॥
रामजीको गाय, गाय रामजीको रिझाव रे।
रामजीके चरन-कमल, चित्तमाहिं लाव रे॥३॥
कहत मलूकदास, छोड़ दे तैं झूठी आस।
आनँद मगन होइके, हरिगुन गाव रे॥४॥
Sabha Hai Bhari BHagwan (Vikash Nath Ji)
यह भजन महाभारत के एक प्रसंग पर आधारित है, जब कौरवों ने पांडवों को जुए में हराकर उन्हें 13 साल के लिए वनवास भेज दिया था। इस दौरान, दुर्योधन ने द्रौपदी को सभा में लाने का आदेश दिया और उसे अपमानित किया। द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से मदद की गुहार लगाई। भजन की पहली पंक्ति में, द्रौपदी भगवान कृष्ण से पूछती है कि वे कब आएंगे और उसकी मदद करेंगे। वह कहती है कि सभा में भीड़ है और वह शर्मिंदा है।
सभा है भरी भगवन , भीर पड़ी, आवो तो आवो हरी,
किसविध देर करी || सभा है भरी ||
पति मोये हारी ये ना बिचारी, कैसे सभा में आवती नारी |
बाजी लगी थी भगवन कपट भरी, आवो तो आवो हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
हो दुष्ट दु:शासन वस्त्र बिलोचन, खेंच रह्यो मेरे बदन को वासन |
नग्न करण की मन मं करी, आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
भीष्म पितामह, द्रोण गुरू देवा, बैठे विदुरजी धर्म के खेवा |
सब की मति में भगवन्, धुळ पड़ी, आवौ तो आवौ हरि, किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
हाथ पसारो, लाज उबारो, सत्य कहूं प्रभु बेगा पधारो |
देवकीनंदन गावै, बणा बिगड़ी, आवौ तो आवौ हरि,किसविध देर करी ||
सभा है भरी ||
राम कहो राम कहो, राम कहो बावरे।
अवसर न चूक भोंदू, पायो भला दाँवरे॥१॥
जिन तोकों तन दीन्हों, ताकौ न भजन कीन्हों।
जनम सिरानो जात, लोहे कैसो ताव रे॥२॥
रामजीको गाय, गाय रामजीको रिझाव रे।
रामजीके चरन-कमल, चित्तमाहिं लाव रे॥३॥
कहत मलूकदास, छोड़ दे तैं झूठी आस।
आनँद मगन होइके, हरिगुन गाव रे॥४॥
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Author - Saroj Jangir
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