जगत की झूटी रौनक से हैं आँखें भर गयी मेरी Jagat Ki Jhuti Rounak Se Bhajan

जगत की झूटी रौनक से हैं आँखें भर गयी मेरी भजन Jagat Ki Jhuti Rounak Se Bhajan

 
जगत की झूटी रौनक से हैं आँखें भर गयी मेरी भजन Jagat Ki Jhuti Rounak Se Bhajan

जगत की झूटी रौनक से हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी
चले आओ मेरे मोहन
चले आओ मेरे मोहन दरश की प्यास काफी है
जगत के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे तेरा दरबार काफी है


जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे, के शिव का द्वार काफी है
Kyun Bhatkun Gairo Ke Dar Pe, Ke Shiv Ka Dwar Kafi Hai

जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai
तेरा दीदार काफी है
 Tera Deedar Kafi Hai

नज़ारे और दुनिया के, मेरी आँखों को ना भये
Nazare Aur Duniya Ke, Meri Aankhon Ko Na Bhaye
मेरी आँखों को ना भये  
Meri Aankhon Ko Na Bhaye
तेरी मूरत तेरा दर्शन तेरा श्रृंगार काफी है
Teri Murat Tera Darshan Tera Shringar Kafi Hai

जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai

जगत के साज बाजों से, हुए हैं कान अब बहरे
Jagat Ke Saaz Bajo Se, Hue Hain Kaan Ab Behre
जगत के साज बाजों से, हुए हैं कान अब बहरे
Jagat Ke Saaz Bajo Se, Hue Hain Kaan Ab Behre  
हुए हैं कान अब बहरे
Hue Hain Kaan Ab Behre
कहाँ जाके सुनूँ सुमिरन
Kahan Jaake Sunu Sumiran
मधुर शिव नाम काफी है
Madhur Shiv Naam Kaafi Hai
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai

जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का
Jagat Ke Rishtedaron Ne, Bichaya Jaal Maya Ka
जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का
Jagat Ke Rishtedaron Ne, Bichaya Jaal Maya Ka  
बिछाया जाल माया का
Bichaya Jaal Maya Ka
तेरे भक्तों से हो प्रीति, के शिव परिवार काफी है
Tere Bhakto Se Ho Priti, Ke Shiv Parivar Kafi Hai
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai

जगत की झूटी रौनक से, हैं आँखें भर गयी मेरी
Jagat Ki Joothi Ronak Se, Hain Aankhen Bhar Gayi Meri
जगत की झूटी रौनक से, हैं आँखें भर गयी मेरी
Jagat Ki Joothi Ronak Se, Hain Aankhen Bhar Gayi Meri
हैं आँखें भर गयी मेरी
Hain Aankhen Bhar Gayi Meri
चले आओ मेरे भोले
Chale Aao Mere Bhole
चले आओ मेरे भोले, दरश की प्यास काफी है
Chale Aao Mere Bhole, Darash Ki Pyas Kafi Hai

 जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai  
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai  
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai  
जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
Jagat Ke Rang Kya Dekhun, Tera Deedar Kafi Hai  
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जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है ।
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है ॥

नहीं चाहिए ये दुनियां के,
निराले रंग ढंग मुझको,
निराले रंग ढंग मुझको ।
चली जाऊँ मैं वृंदावन,
तेरा श्रृंगार काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं...॥

जगत के साज बाजों से,
हुए हैं कान अब बहरे,
हुए हैं कान अब बहरे ।
कहाँ जाके सुनूँ बंशी,
मधुर वो तान काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं...॥

जगत के रिश्तेदारों ने,
बिछाया जाल माया का
बिछाया जाल माया का ।
तेरे भक्तों से हो प्रीति,
श्याम परिवार काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं...॥

जगत की झूटी रौनक से,
हैं आँखें भर गयी मेरी
हैं आँखें भर गयी मेरी ।
चले आओ मेरे मोहन,
दरश की प्यास काफी है ॥
॥जगत के रंग क्या देखूं...॥

जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है ।
क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,
तेरा दरबार काफी है ॥
 राम दो निज चरणों में स्थान,
शरणागत अपना जन जान,

अधमाधम मैं पतित पुरातन ।
साधन हीन निराश दुखी मन।
अंधकार में भटक रहा हूँ ।
राह दिखाओ अंगुली थाम।
राम दो निज चरणों में स्थान,
शरणागत अपना जन जान,

सर्वशक्तिमय राम जपूँ मैं ।
दिव्य शान्ति आनन्द छकूँ मैं।
सिमरन करूं निरंतर प्रभु मैं ।
राम नाम मुद मंगल धाम।
राम दो निज चरणों में स्थान,
शरणागत अपना जन जान,

केवल राम नाम ही जानूं ।
और धर्म मत ना पहिचानूं ।
जो गुरु मंत्र दिया सतगुरु ने।
उसमें है सबका कल्याण।
राम दो निज चरणों में स्थान,
शरणागत अपना जन जान,

हनुमत जैसा अतुलित बल दो ।
पर-सेवा का भाव प्रबल दो ।
बुद्धि विवेक शक्ति सम्बल दो ।
पूरा करूं राम का काम।
राम दो निज चरणों में स्थान
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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