राम गुण गाया नहीं गायक हुआ तो क्या हुआ

राम गुण गाया नहीं, गायक हुआ तो क्या हुआ,
पितु मातु मन भाया नहीं, लायक हुआ तो क्या हुआ,
गंगा नहाये प्रेम से, धोये धोय तन निर्मल किया,
मन मैंला धोया नही, गंगा नहाये से क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,
श्रेणी : श्री राम भजन Ram Bhajan Lyrics
गायक : Prembhushan Ji Maharaj Bhajan

राम गुण गाया नहीं गायक हुआ तो क्या हुआ भजन

राम गुण गाया नहीं, गायक हुआ तो क्या हुआ,
पितु मातु मन भाया नहीं, लायक हुआ तो क्या हुआ,

गंगा नहाये प्रेम से, धोये धोय तन निर्मल किया,
मन मैंला धोया नही, गंगा नहाये से क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,

गाड़ी चढ़ छेला बणे वे, बागों में मैं घूमता,
घर की सती रोती रहे, बाबू बने तो क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,

खाकर नमक मालिक का, सेवा भी मुँख मोड़ता,
वो नोकर नमक हराम है, चाकर हुआ तो क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,

विद्या पढ़ पढ़ ज्ञानी बन गया, राम रंग रच्या नहीं,
दिल खोया वाद विवाद में, फिर पछताए क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,

मात पिता की जीते जी, सेवा तुमसें न बनी,
मरे पीछे श्राद्ध या तर्पण, करे तो क्या हुआ,
राम गुण गाया नही, गायक हुआ तो क्या हुआ,

राम गुण गाया नहीं, गायक हुआ तो क्या हुआ,
पितु मातु मन भाया नहीं, लायक हुआ तो क्या हुआ,

राम गुण गायो नहीं आए करके
कृष्ण गुण गायो नहीं आए करके
यम से कहोगे क्या जाए करके
सीता राम राम राम, सीता राम राम राम
राधे श्याम श्याम श्याम,
श्यामा श्याम श्याम श्याम


बचपन में लाड लडायो,
बालापन में लाड लडायो
मात पिता पलना झुलायो
समय गवायो, खेल खाए करके
यम से कहोगे क्या जाए करके
सीता राम राम राम, सीता राम राम राम
राधे श्याम श्याम श्याम,
श्यामा श्याम श्याम श्याम

तरुण भयो तिरीया संग नाच्यौ
नट मरघट जो नीस दीन नाच्यौ
माया में रयो रे भरमाए करके
यम से कहोगे क्या जाए करके
सीता राम राम राम, सीता राम राम राम

जीवन बीत बुढापा आवे
इंद्रिय सब शिथिल है जावे
तब रोओगे पछताए करके
यम से कहोगे क्या जाए करके

राम गुण गायो नहीं आए करके
कृष्ण गुण गायो नहीं आए करके
यम से कहोगे क्या जाए करके
सीता राम राम राम, सीता राम राम राम
राधे श्याम श्याम श्याम,
श्यामा श्याम श्याम श्याम

राम के गुणों को न गाया, तो गायक बनने का क्या फायदा? माँ-बाप का मन न जीता, तो लायकी का क्या मोल? सच्चाई यही है कि बाहरी चमक बेकार है, अगर मन का मैल न धुले।

गंगा में नहाकर तन तो चमकाया, पर मन की गंदगी न धोई, तो वह स्नान व्यर्थ। बागों में सैर कर, छैला बनकर सती को रुलाया—ऐसी बाबूगिरी से क्या हासिल? मालिक का नमक खाकर उसकी सेवा से मुँह मोड़ा, तो ऐसा नौकर नमकहराम ही कहलाएगा।

विद्या पढ़कर ज्ञानी बना, पर राम के रंग में न रँगा। वाद-विवाद में दिल खोया, फिर पछतावे का क्या अर्थ? माँ-बाप की जीते-जी सेवा न की, तो मरने के बाद श्राद्ध-तर्पण का क्या लाभ?

सब कुछ तब सार्थक है, जब राम के गुण मन में बसे। उनका नाम, उनका प्रेम ही मन को निर्मल करता है, जैसे सूरज की किरण अंधेरे को मिटाए। बाकी सब बाहरी दिखावा—राम बिना सब सूना।

Ram gun gayo nahi aaye karake|राम गुण गायो नहीं आए करके by IndreshJi Upadhyay with lyrics #ramnavami
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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