एक फकीरा आया शिर्डी गाँव में भजन

एक फकीरा आया शिर्डी गाँव मे

शिरडी के साईं बाबा भारत की समृद्ध संत परंपरा में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं। उनकी अधिकांश उत्पत्ति और जीवन अज्ञात है, लेकिन वह हिंदू और मुस्लिम दोनों भक्तों द्वारा आत्म-साक्षात्कार और पूर्णता के अवतार के रूप में साई को स्वीकारते हैं। भले ही साईं बाबा ने अपने व्यक्तिगत व्यवहार में मुस्लिम प्रार्थनाओं और प्रथाओं का पालन किया, लेकिन वे खुले तौर पर किसी भी धर्म के कट्टरपंथी व्यवहार से घृणा करते थे। इसके बजाय, प्रेम और न्याय के संदेशों के माध्यम से, वह मानव जाति के जागरण में विश्वास करते थे।

(मुखड़ा)
एक फकीरा आया शिर्डी गाँव में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में।

होठों पे मुस्कान है, छाले पाँव में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में॥

(अंतरा 1)
कभी अल्लाह-अल्लाह बोले,
कभी राम नाम गुण गाये।
कोई कहे संत लगता है,
कोई पीर फ़क़ीर बताये।

जाने किससे बातें करे हवाओं में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में।

(अंतरा 2)
है कौन, कोई ना जाने,
कोई उसको ना पहचाने।
चोला फ़क़ीर का पहना,
देखो जग के दाता ने।

देखो सबकी माँगे ख़ैर दुआओं में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में।

(अंतरा 3)
वो जिसको हाथ लगाये,
उसका हर दुःख मिट जाए।
वो दे दे जिसे विभूति,
हर ख़ुशी उसे मिल जाए।

काँटे चुनकर, फूल बिछाये राह में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में।

(अंत में दोहराव)
एक फकीरा आया शिर्डी गाँव में,
आ बैठा एक नीम की ठंडी छाँव में…
ठंडी छाँव में… ठंडी छाँव में…
 


शिर्डी के गाँव में एक फकीर आया, नीम की ठंडी छाँव में बैठा, मानो साक्षात सुख का सागर उतर आया। उसके होंठों पर मुस्कान और पैरों में छाले हैं, फिर भी वह हवाओं से बातें करता है, जैसे कोई अनजाना राग गुनगुनाए। वह कभी अल्लाह का नाम लेता है, कभी राम की भक्ति में डूब जाता है। कोई उसे संत कहता है, कोई पीर-फकीर, पर उसकी सादगी में सृष्टि का दाता झलकता है।

कोई उसे नहीं पहचानता, पर उसका चोला फकीरी का है, जिसमें जग की हर दुआ समाई है। वह सबके लिए खैर माँगता है, जैसे कोई माँ अपने बच्चों की सलामती की प्रार्थना करे। जिसे वह हाथ लगाए, उसके दुख पल में मिट जाते हैं। उसकी दी हुई विभूति हर सुख की चाबी है। वह राहों के काँटे चुनकर फूल बिछाता है, ताकि हर पथिक का सफर आसान हो जाए। उसकी ठंडी छाँव में बैठकर मन को शांति मिलती है, जैसे तपती धूप में ठंडा झरना मिल जाए।

एक साधारण फकीरा, शिरडी के गाँव में नीम की ठंडी छाँव में बैठा, अपने सादगी भरे चोले और मुस्कान से सबके मन को छू जाता है। उसका हृदय इतना विशाल है कि अल्लाह और राम के नाम एक साथ गूंजते हैं, मानो प्रेम और एकता का संदेश देता हो। जैसे कोई संत सबको एक ही ईश्वर की राह दिखाए, वह न कोई भेद करता है, न किसी से अपनापन छिपाता। उसकी बातें हवाओं से, शायद उस अनदेखे सत्य से, जो हर दिल में बस्ता है।

कोई उसे पहचान न सका, पर उसकी दुआएँ सबकी झोली भर देती हैं। जैसे कोई चिंतक कहे कि सच्चा दाता वही, जो बिना नाम की चाह सब कुछ दे जाए। उसका स्पर्श दुखों को मिटाता है, उसकी दी विभूति सुखों का आलम बिखेरती है। वह कांटों को चुनकर फूलों की राह बनाता है, जैसे कोई धर्मगुरु सिखाए कि सेवा और करुणा ही सच्ची भक्ति है।

उदाहरण लें तो, जैसे कोई भूखे को रोटी दे, बिना यह पूछे कि वह कौन है—ऐसा ही यह फकीरा, जो बिना पहचान के सबका भला करता है। उसकी छाँव में सुकून है, प्रेम है, और एक ऐसी शक्ति जो हर दिल को जोड़ती है। ठंडी छाँव में बैठा वह फकीरा, मानो कहता हो—जीवन का सुख दूसरों की मुस्कान में ही है।


आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post