चल पड़ा शिव का पुजारी भजन
चल पड़ा शिव का पुजारी भजन
हाथ में ले गंगाजल गढवा शिव पे चढ़ाने के लिए,
बैठ गया शिव लिंग के आगे करने लगा आराधना,
हाथ को ऊपर उठाया घंटा बजाने के लिए,
देख कर सोने का घंटा पाप मन में आ गया,
हो गया तैयार वह तो घंटा चुराने के लिए,
चढ़ गया शिव लिंग ऊपर घंटा ले जाने के लिए,
हो गए तब प्रकट शंभो दरशन दिखाने के लिए,
जल चढ़ाते हैं सभी मुझको मनाने के लिए,
तू तो खुद ही चढ़ गया मुझको मनाने के लिए
चल पड़ा शिव का पुजारी शिव को मनाने के
तेरे द्वार पुजारी आया है तेरे द्वार पुजारी आया है
ना थाली है ना लोटा है
ना थाली है ना कलशा
खाली हाथों पुजारी आया है
तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
ना रोली है ना मोली है
बस मन की माला लाया है
तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
ना लड्डू है ना पेड़ा है बस भाव का जल ही लाया है
तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
कह देना डमरू वाले से तेरे द्वार पुजारी आया है
Title - भोले का दीवाना मण्डल की और से अष्टम महाशिवरात्रि आराधना महोत्सव
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Song - भक्त एक शिव का चला शिव का मनाने
एक पुजारी, मन में शिव की भक्ति लिए, गंगाजल का गढ़वा थामे उनके पास पहुँचा। शिवलिंग के सामने बैठा, आराधना में डूब गया, हाथ उठाए घंटा बजाया, जैसे सारा मन शंभू को अर्पण कर दे।
पर सोने का घंटा देख मन डोला, लालच जागा। चोर बनकर शिवलिंग पर चढ़ गया, घंटा लेने को तैयार। तभी भोले प्रकट हुए, दर्शन दिए। मुस्कुराए और बोले—सब जल चढ़ाते हैं मुझे मनाने को, तू तो खुद ही चढ़ गया, मेरा दिल जीतने को।
यह शिव की लीला है—वे मन की हर कमजोरी देखते हैं, फिर भी प्रेम से गले लगाते हैं। लालच मिटा, भक्ति जागी, और पुजारी का मन शंभू में रम गया, जैसे कोई खोया पथिक घर लौट आए।
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Author - Saroj Jangir
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