शिव मूल मंत्रॐ नमः शिवाय महत्त्व जाप विधि
शिव मूल मंत्रॐ नमः शिवाय महत्त्व जाप विधि
सभी देवी देवताओं में सबसे लोकप्रिय देवता भगवान शिव को माना जाता है। भगवान शिव को कल्याणकारी माना जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव अपने भक्तों पर आने वाले कष्टों हरण कर लेतें। जब-जब देवताओं, ऋषि-मुनियों या फिर ब्रह्मांड में कहीं भी जीवन पर संकट आया है तमाम कष्टों के विष को भगवान शिव ने धारण किया है। भगवान शिव की आराधना बहुत ही सरल एवं बहुत ही फलदायी मानी गयी है। सोमवार को भगवान शिव की पूजा का दिन माना जाता है। यहां आपको बता रहे हैं भगवान शिव के कुछ लोकप्रिय मंत्र जिनसे आप भगवान शिव की आराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं और उनकी कृपा पा सकते हैं।
शिव मूल मंत्र
Om Namah Shivaya 108 Times | Chant Om Namah Shivaya For Meditation | Shiva Mantra| Shiva Chant|Siva
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥यह भगवान शिव का मूल मंत्र हैं। मंत्रों में सबसे लोकप्रिय मंत्र भी है जिसे हिंदू धर्म में आस्था रखने वाला हर शिव उपासक जपता है। इस मंत्र की खास बात यह है कि यह बहुत ही सरल मंत्र है जिसके द्वारा कोई भी भगवान शिव की उपासना कर सकता है। इस मंत्र में भगवान शिव को नमन करते हुए उनसे स्वयं के साथ-साथ जगत के कल्याण की कामना की जाती है।
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महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
यह माना जाता है कि इस महामृत्युंजय मंत्र के जाप से भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी असीम कृपा तो प्राप्त होती ही है साथ ही यदि साधक इस मंत्र का सवा लाख बार निरंतर जप कर ले तो वर्तमान अथवा भविष्य की समस्त शारीरिक व्याधियां एवं अनिष्टकारी ग्रहों के दुष्प्रभाव समाप्त किये जा सकते हैं। यह भी माना जाता है कि इस मंत्र की साधना से अटल मृत्यु को भी टाला जा सकता है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। मंत्र में कहा गया है कि जो त्रिनेत्र हैं एवं हर सांस में जो प्राण शक्ति का संचार करने वाले हैं जिसकी शक्ति समस्त जगत का पालन-पोषण कर रही है हम उन भगवान शंकर की पूजा करते हैं। उनसे प्रार्थना करते हैं कि हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति दें ताकि मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो। जिस प्रकार ककड़ी पक जाने पर बेल के बंधन से मुक्त हो जाती है उसी प्रकार हमें भी ककड़ी की तरह इस बेल रुपी संसार से सदा के लिए मुक्त मिले एवं आपके चरणामृत का पान करते हुए देहत्याग कर आप में ही लीन हो जांए।
इस महामृत्युंजय मंत्र के 33 अक्षर हैं। महर्षि वशिष्ठ के अनुसार ये 33 अक्षर 33 देवताओं के प्रतीक हैं जिनमें 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्यठ, 1 प्रजापति एवं 1 षटकार हैं। इसलिए माना जाता है कि इस मंत्र सभी देवताओं की संपूर्ण शक्तियां विद्यमान होती हैं जिससे इसका पाठ करने वाले को दीर्घायु के साथ-साथ निरोगी एवं समृद्ध जीवन प्राप्त होता है।
कुछ साधक इस महामृत्युंजय मंत्र में संपुट लगाकर भी इसका उच्चारण करते हैं जो निम्न है:
ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ
शिव मूल मंत्र: ॐ नमः शिवाय
महत्त्व:ॐ नमः शिवाय, शिव का मूल मंत्र, पंचाक्षर मंत्र है, जो उनकी सर्वोच्च शक्ति और कृपा का प्रतीक है। यह मंत्र सृष्टि के पांच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश—का संनाद है, जो शिव में समाहित हैं। इसे जपने से मन शुद्ध होता है, नकारात्मकता नष्ट होती है, और आत्मा को शांति मिलती है। भगवान शिव, कल्याणकारी और संकटहर्ता, इस मंत्र के माध्यम से भक्तों के दुखों को हर लेते हैं, जैसे सूर्य अंधेरे को मिटाता है। यह मंत्र सरल होते हुए भी असीम शक्ति रखता है, जो भक्त को भय, रोग, और बंधनों से मुक्त करता है।
जाप विधि:
1. शुद्धता: प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. आसन: कुश या ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. संकल्प: मन में शिव की कृपा और अपने उद्देश्य का संकल्प लें।
4. जप: रुद्राक्ष की माला से 108 बार मंत्र जपें। जप शांत मन और स्पष्ट उच्चारण के साथ करें।
5. समय: सोमवार, प्रदोष काल, या शिवरात्रि पर जप विशेष फलदायी है। प्रातःकाल या संध्या समय उपयुक्त है।
6. अर्पण: जप के बाद बिल्वपत्र, दूध, या जल शिवलिंग पर अर्पित करें और प्रार्थना करें।
लाभ:
नियमित जप से मानसिक शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि प्राप्त होती है। यह मंत्र भक्त को शिव की कृपा से जोड़ता है, जो हर संकट में ढाल बनते हैं। सच्चे मन से जपने पर शिव का आशीर्वाद जीवन को मंगलमय बनाता है, जैसे चंदन की सुगंध वातावरण को पवित्र करे। बस, श्रद्धा से ॐ नमः शिवाय बोलो, शिव सदा साथ हैं।
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तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥