तू ही बन जा, तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया, हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया.
इस जीवन के सागर में हर क्षन लगता है डर मुझको,
क्या भला है क्या बुरा है तू ही बता दे मुझको, तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया,
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया, क्या तेरा और क्या मेरा है सब कुछ तो बस सपना है, इस जीवन के मोहजाल में सबने सोचा अपना है,
krishana bhajan lyrics Hindi
हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया, तू ही बन जा, तू ही बन जा मेरा मांझी पार लगा दे मेरी नैया, हे नटनागर कृष्ण कन्हैया पार लगा दे मेरी नैया
Tu Hi Banja Mera Majhi
इस भजन में श्रीकृष्ण के प्रति वह गहरा विश्वास और समर्पण है, जो आत्मा को संसार के सागर में डूबने से बचाता है। यह पुकार नटखट कन्हैया से है कि वे माँझी बनकर जीवन की नैया को भवसागर के पार लगाएँ। हर पल डर और भ्रम से घिरा मन जब कृष्ण की शरण माँगता है, तो वह उस पथिक सा है, जो तूफान में एकमात्र तारे की ओर देखता है।
जीवन के इस सागर में भला-बुरा, तेरा-मेरा सब सपना-सा लगता है। मोह और माया का जाल मन को उलझाता है, पर कन्हैया का स्मरण उस डोर की तरह है, जो किनारे तक ले जाती है। यह भक्ति वह दीया है, जो अंधेरे में भी रास्ता दिखाता है। सत्य का मार्ग यही है कि प्रभु की शरण में ही सच्ची मुक्ति है।
चिंतन का स्वर है कि कृष्ण का नाम वह मंत्र है, जो मन के भय को मिटाता है। जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में निश्चिंत हो जाता है, वैसे ही कन्हैया की शरण में मन को शांति मिलती है। यह समर्पण ही है, जो नैया को पार लगाता है, जहाँ न माया है, न मोह, केवल प्रभु का प्रेम है।