आज के युग में मानवता इंसान छोड़ कर दूर हुए लिरिक्स Aaj Ke Yug Me Manavta Lyrics

आज के युग में मानवता इंसान छोड़ कर दूर हुए लिरिक्स Aaj Ke Yug Me Manavta Insaan Chhod Dar Door Huye Lyrics Devotional Bhajan Lyrics Hindi

आज के युग में मानवता इंसान छोड़ कर दूर हुए,
इसीलिए मंदिर मस्ज़िद भगवान छोड़ कर दूर हुए।

कर्म भी पैसा धर्म भी पैसा और पैसा ईमान बना,
मोह माया में फस गया पैसा इतना अब पैसा भगवान बना,
माया के चकर में वेद कुरान छोड़ कर दूर हुये,
इसीलिए मंदिर मस्ज़िद भगवान छोड़ कर दूर हुए।

झूठे जग में फँस गया इतना, हरी का नाम भुलाया है,
झूठे जग में डूब गया ये और मोह में भरमाया है,
मतलब की ख़ातिर ये धर्मी मान छोड़ कर दूर हुए,
इसीलिए मंदिर मस्ज़िद भगवान छोड़ कर दूर हुए।

झूठे नाते बना लिए अब सेवा सत्कार नही,
मतलब की खातिर अपना है जग में सच्चा प्यार नहीं,
अभी इंसान इंसानों की पहचान छोड़ कर दूर हुए,
इसीलिए मंदिर मस्ज़िद भगवान छोड़ कर दूर हुए। 

यह भी देखें You May Also Like

Aaj Ke Yug Mein Maanavata Insaan Chhod Kar Door Hue,
Iseelie Mandir Maszid Bhagavaan Chhod Kar Door Hue.

Karm Bhee Paisa Dharm Bhee Paisa Aur Paisa Eemaan Bana,
Moh Maaya Mein Phas Gaya Paisa Itana Ab Paisa Bhagavaan Bana,
Maaya Ke Chakar Mein Ved Kuraan Chhod Kar Door Huye,
Iseelie Mandir Maszid Bhagavaan Chhod Kar Door Hue.

Jhoothe Jag Mein Phans Gaya Itana, Haree Ka Naam Bhulaaya Hai,
Jhoothe Jag Mein Doob Gaya Ye Aur Moh Mein Bharamaaya Hai,
Matalab Kee Khaatir Ye Dharmee Maan Chhod Kar Door Hue,
Iseelie Mandir Maszid Bhagavaan Chhod Kar Door Hue.

Jhoothe Naate Bana Lie Ab Seva Satkaar Nahee,
Matalab Kee Khaatir Apana Hai Jag Mein Sachcha Pyaar Nahin,
Abhee Insaan Insaanon Kee Pahachaan Chhod Kar Door Hue,
Iseelie Mandir Maszid Bhagavaan Chhod Kar Door Hue.


कबीर और मूर्तिपूजा :
कबीर ने प्रारंभ से ही मूर्ति पूजा आडंबर और झूठे दिखावे का विरोध किया है कबीर ने मैं में मौजूद पंडित वाद का भी घोर विरोध किया है कबीर दास जी कहते हैं हम सब ईश्वर की संतान हैं तो फिर भगवान से मिलने के लिए हमें किसी एजेंट की आवश्यकता नहीं है वह तो हमारे दिल में रहता है हम उसे कभी भी प्राप्त कर सकते हैं कभी सदा कहते हैं कि ईश्वर निराकार है उसका कोई रूप नहीं है उसको तो हमने विभिन्न रूपों में ढाल लिया है
कांकर पाथर जोरि के मसजिद लई चुनाय। ता चढ़ि मुल्ला बांग दे, क्या बहिरा हुआ खुदाय।।
वस्तुतः कबीर ने पाखंड का विरोध किया था ईश्वर का नहीं उनके अनुसार तो ईश्वर हर एक पुरानी में निवास करता है और उसे कहीं अन्यत्र ढूंढने की आवश्यकता नहीं है मानवता की सेवा ही ईश्वर की भक्ति है गुरु के बारे में कबीर दास जी ने कहा है कि पाखंडी गुरु का आचरण करने से हमारे जीवन में पाखंड ही बढ़ता है और कोई परिवर्तन नहीं आता है हमें हमारे जीवन और मानवता की शुद्धता को समझना चाहिए सदा ही ब्राह्मणवाद का विरोध किया क्योंकि ब्राह्मणवाद ने ही समाज को बांट दिया और अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए स्वयं को ईश्वर का उत्तराधिकारी घोषित किया कबीर ने ऐसी सामाजिक और सांस्कृतिक का सदैव घोर विरोध किया है अपने दोहों के माध्यम से लोगों को यह है शिक्षा दी की मानव जीवन मूल रूप से कर्म प्रधान है और उन्हें विभिन्न प्रकार के आडंबर ओं से दूर रहना चाहिए कबीर सदैव ही सच्चे गुरु के हिमायती थे वह कहते थे कि बिना गुरु की ईश्वर की प्राप्ति नहीं की जा सकती
चेतावनी भजन : चेतावनी भजन का का मूल विषय व्यक्ति को उसके अवगुणों के बारे में सचेत करना और सत्य की राह पर अग्रसर करना होता है। राजस्थानी चेतावनी भजनो का मूल विषय यही है। गुरु की शरण में जाकर जीवन के उद्देश्य के प्रति व्यक्ति को सचेत करना ही इनका भाव है। चेतावनी भजनों में कबीर के भजनो को क्षेत्रीय भाषा में गया जाता है या इनका कुछ अंश काम में लिया जाता है। 
 
देसी भजन : देसी भजनों में देसज भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसमें छंद, गीत शैली आदि का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता है और उद्देश्य होता है की सहज भाषा में लोगों तक सन्देश पहुंच जाय। राग का भी कोई विशेष नियम नहीं होता है। क्षेत्रीय स्तर पर प्रचलित वाद्य यंत्रों का प्रयोग इनमे किया जाता है। जैसे राजस्थान में रावण हत्था एक वाद्य यन्त्र है इस पर सुन्दर तरीके से भजनो को गाय जाता है। इसके साथ में अन्य वाद्य यंत्रों की अनिवार्यता नहीं होती है। विशेष बात है लोगों तक सन्देश को पहुंचना। लोक गीत पुरे समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनके इनके माध्यम से पुरे समाज के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। देसी भजनों के तो देवताओं की स्तुति होती है और एक चेतावनी भजन जिनमे गुरु भजन और व्यक्ति को सद्मार्ग के अनुसरण सबंधी भजन होते हैं। राजस्थानी चेतावनी भजनों में कबीर भजनों का प्रमुख योगदान हैं जिन्हे क्षेत्रीय भाषा में अनुवादित करके या फिर उनके कुछ अंश को कार्य में लिया जाता है। चेतावनी भजन अलग अलग अंचल के भिन्न हैं। हेली भजन चेतावनी भजनों का ही एक प्रकार है। कर्मा भाई के भजन अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। 

नाथ पंत भजन और मीरा भजन भी देसी भजनों की श्रृंखला में ही गिने जाते हैं। मीरा के भजन जहाँ कृष्ण भक्ति से सरोबार हैं वही नाथ जी की भजनों में विभिन्न देवताओं की स्तुति के आलावा गुरु गोरखनाथ के भजन प्रमुख हैं। मीरा बाई के पदों के अलावा कबीर, दादू, रैदास, चंद्रस्वामी तथा बख्तावरजी के पद भजनों के द्वारा गाये जाते हैं। देवताओं के भजनों में विनायक, महादेव, विष्णु, राम, कृष्ण, बालाजी (हनुमान), भैंरू, जुंझार, पाबू, तेजा, गोगा, रामदेव, देवजी, रणक दे, सती माता, दियाड़ी माता, सीतला माता, भोमियाजी आदि के भजन प्रमुखता से गाये जाते हैं। इन भजनों को अंचल विशेष में कुछ जातियों के द्वारा इन्हे गाना ही उनका काम होता है।

विनम्र निवेदन: वेबसाइट को और बेहतर बनाने हेतु अपने कीमती सुझाव नीचे कॉमेंट बॉक्स में लिखें व इस ज्ञानवर्धक ख़जाने को अपनें मित्रों के साथ अवश्य शेयर करें। यदि कोई त्रुटि / सुधार हो तो आप मुझे यहाँ क्लिक करके ई मेल के माध्यम से भी सम्पर्क कर सकते हैं। धन्यवाद।
+

एक टिप्पणी भेजें