क्यों कहा जाता हैं भगवान् शिव नीलकंठ :
भगवान् शिव समस्त श्रस्टि के पालनहार हैं और अपने भक्तों पर सदैव ही दया करते हैं। भगवान् शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है ऐसा इसलिए क्यों की जब देवताओं और असुरों में समुद्र मंथन , जो की दूध के सागर , क्षीर सागर में हुया था, के दौरान अमृत को लेकर झगड़ा हो रहा था तब समुद्र में से "कालकूट" जहर निकला जिसके प्रभाव से श्रष्टि की दासों दिशाएँ जलने लगी. उसके प्रभाव से सुर असुर ऋषि मुनि सभी जलने लगे। उस समय भगवान् शिव ने विष्णु जी को याद करके विष को अपने शंख में भरकर पी लिया। भगवान् विष्णु जी ने विष को शिव जी के कंठ में ही रोक दिया लेकिन विष के प्रभाव से शिव जी के कंठ नीला हो गया और इसी कारन भगवान् शिव जी को नीलकंठ के नाम से भी पुकारा जाता है।