बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया

बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया

बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया,
अपनी निगाहें नाज़ से मस्ताना कर दिया,

जब से दिखाई श्याम ने वो सांवरी सुरतिया,
वो सांवरी सुरतिया वो मोहनी मुरतिया,
खुद बन गये शमा मुझे परवाना कर दिया,
बंशी बजाके श्याम ने दीवाना कर दिया,

बांकी अदा से देखा मन हरन श्याम ने,
मन हरन श्याम ने सखी चित चोर श्याम ने,
इस दिन दुनिया से मुझे बेगाना कर दिया,
बंशी बजा के श्याम ने दीवाना कर दिया,
अपनी निगाहें-नाज़ से मस्ताना कर दिया, 


सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी की मोहक बंसी और उनकी दिव्य लीला का गहन प्रभाव प्रदर्शित किया गया है। जब उनकी बंसी की ध्वनि ब्रज में गूंजती है, तब केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि उस माधुर्य में डूब जाती है।

श्रीकृष्णजी की अलौकिक छवि और उनकी मनमोहक अदा से भक्तों का मन स्वतः ही उनके प्रेम में रम जाता है। उनकी दृष्टि में ऐसा आकर्षण है, जो आत्मा को सांसारिक सीमाओं से परे ले जाकर केवल भक्ति और अनुराग में समर्पित कर देता है।

बंसी की मधुरता केवल संगीत नहीं, बल्कि प्रेम का दिव्य संवाद है—यह हृदय की गहराइयों को स्पर्श करता है और मन को ईश्वर के चरणों में समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है। भक्त के जीवन में जब श्रीकृष्णजी का प्रेम उतरता है, तब संसार की माया अर्थहीन प्रतीत होती है।


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