बाल गोपाला बाल गोपाला प्यारे मुरारी
बाल गोपाला बाल गोपाला प्यारे मुरारी मोरे नन्द लाला
बाल गोपाला बाल गोपाला प्यारे मुरारी मोरे नन्द लाला,
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
नाराणयन नारायण जय जय गोविन्द हरे,
नाराणयन नारायण जय जय गोपाल हरे,
जय जय गोविन्द हरे जय जय गोपाल हरे
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
नन्द लाला नन्द लाला नन्द लाला मोरे नन्द लाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
कृष्ण गोविन्द गोविन्द गोपाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
मुरली मनोहर नंदलाला,
नाराणयन नारायण जय जय गोविन्द हरे,
नाराणयन नारायण जय जय गोपाल हरे,
जय जय गोविन्द हरे जय जय गोपाल हरे
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के बाल स्वरूप का मधुर गुणगान प्रदर्शित किया गया है। यह अनुभूति नंदलाल के स्नेहिल रूप, उनकी मोहक बाल लीलाओं और उनकी अलौकिकता को हृदय में उकेरती है।
श्रीकृष्णजी का नंद-भवन में गूंजता मधुर नाम, उनके गोविंद स्वरूप की दिव्यता और मुरली की ध्वनि समस्त सृष्टि को भक्तिमय आनंद से भर देती है। उनका बाल रूप, जो प्रेम और करुणा से ओतप्रोत है, भक्तों को वात्सल्य और श्रद्धा से भर देता है।
प्रभु का नाम सृष्टि की हर धारा में प्रवाहित होता है—चाहे वह नारायण की स्तुति हो या गोविंद की जयध्वनि। यह भजन भाव में गहरे उतरकर श्रीकृष्णजी की महिमा का स्मरण कराता है, जहाँ भक्त का मन उनकी माधुर्यता में पूर्ण रूप से रम जाता है।