दर तेरे आने की दर्शन तेरा पाने की

दर तेरे आने की दर्शन तेरा पाने की

दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की,
बिन महर तेरे,क्या दर कोइ आ पाता
आने की क्या है बात,चल नहीं पाता,
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की,
नहीं मीरा सी भक्ति,नहीं भाव सुदामा सा
नहीं करमा मैं कोइ,नहीं हूँ मैं नरसी सा,
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की,
कब होगी महर तेरी,कब नज़र तुम्हारी श्याम
दे भक्ति भाव मुझमे,आऊं मैं दर तेरे धाम,
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की,
क्या पाप किये मैंने,क्या भूल हुई है श्याम
पापी कितने तारे, 'टीकम' तो तेरा गुलाम,
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की,
जय हो मेरे श्याम सांवरिया की


हृदय प्रभु के दर्शन की तीव्र लालसा से भरा है, उनके दर पर पहुंचने और उन्हें रिझाने की चाह मन में जागती है। बिना उनकी कृपा के कोई उनके द्वार तक पहुंच भी नहीं सकता, चलना तो दूर की बात है। मीरां-सी भक्ति, सुदामा-सा भाव, या नरसी-सा कर्म—ये गुण मन में नहीं, फिर भी प्रभु की शरण की आकांक्षा बनी रहती है।

कब होगी वह कृपा, कब पड़ेगी श्याम की नजर, जो भक्ति का भाव जगा दे, ताकि उनके धाम तक पहुंच सकूं? मन अपने पापों और भूलों पर चिंतित है, पर यह विश्वास है कि प्रभु ने अनगिनत पापियों को तारा। 'टीकम' उनका दास है, और उनकी कृपा ही उसे श्याम के चरणों तक ले जाएगी। यह भक्ति की पुकार है, जहां प्रेम और समर्पण ही आत्मा को प्रभु के दर्शन का सौभाग्य दिलाते हैं।
Next Post Previous Post