ब्रह्म ऋषि है खेतारामजी दाता भजन

ब्रह्म ऋषि है खेतारामजी दाता

आसोतरा में आया रे हाँ,
माला फेरी है हरी रा नाम री रे,
भक्ति ब्रह्मा री कमाया रे हाँ।।

सत री संगत दाता राखता रेे,
सतगुरु वसन सुनाता रे हा,
केणो रे करजो रे माय बाप रो,
जिनमें सब सुख आता रे हा।।

बहन बेटी ने मान देवजो रे,
सेवा गौ मात री करजो रे हा,
खोटे रस्ते मत हालजो रे,
मार्ग सत रे वालो धरजो रे हा।।

कुड कपट मत ना राखजो रे,
पैसों बेटी रो नही लेंणो रे हा,
पालनी करजो रे अतरा बोल रो रे,
ओ गुरु खेतेश्वर रो केहनो रे हा।।

दाता केवे पुरोहितों साबलो घर में,
बकरी मत ना राखो रे हा,
सोत लागे रे ब्रह्म खोलिया ने,
बकरी देवासियों घरे हाको रे हा।।

पुन री रे जड़ परी देखजो रे,
आ तो पियाला रे माई रे हा,
अर्थंडी शैतान भजन बना वियो रे,
नरसिंग गुरु शरणो में गायो रे हा।।

ब्रह्म ऋषि है खेतारामजी दाता,
आसोतरा में आया रे हाँ,
माला फेरी है हरी रा नाम री रे,
भक्ति ब्रह्मा री कमाया रे हाँ।।


पहली बार ब्रह्मऋषि श्री श्री 1008 दाता श्री खेतेश्वर जन्मोत्सव पर माधुरी वैष्णव की अनोखी प्रस्तुति
 
Aasotara Mein Aaya Re Haan,
Maala Pheree Hai Haree Ra Naam Ree Re,
Bhakti Brahma Ree Kamaaya Re Haan..

श्री खेताराम जी- श्री खेताराम जी राजस्थान के सुप्रसिद्ध एवं माननीय संत है और वीर राजपुरोहित जाति से संबंध रखते हैं श्री खेताराम जी का जन्म 22 अप्रैल 1912को हुआ था . इनको खेतेश्वर महाराज के नाम से भी जाना जाता है . इनका जन्म राजस्थान के जालोर जिले के खेड़ा गांव में हुआ था उनके पिता का नाम शेर सिंह और माता का नाम श्रृंगारी देवी था उन्होंने 12 वर्ष की उम्र में ही वैराग्य धारण कर लिया और उनके गुरु का नाम गणेशानंद था। 
 
श्री खेतेश्वर महाराज के इष्ट देवता ब्रह्मा जी थे उन्होंने अपने मैं उपदेशों में अहिंसा नैतिक मूल्य प्रकृति की रक्षा मानवता आदि विषयों पर जोर दिया राजपुरोहित लोग खेताराम जी को को भगवान की दृष्टि से देखते हैं . उनके भक्तों ने राजस्थान बेंगलुरु गुजरात दिल्ली चेन्नई आदि भारत के विभिन्न शहरों में उनकी मृत्यु के बाद उनके मंदिर बनवाए उनकी जयंती पर हर साल मेले का आयोजन किया जाता है उनका निधन 7 मई 1984 को हुआ था।
 
आसोतरा में खेतेश्वर जी की भक्ति का दीप जला, हरि के नाम की माला जपने से ब्रह्मा की साधना फलती है। सत्संग की छाँव में साधक सत्य को पाता, सतगुरु के वचन मन को उजियारा देते। माता-पिता की सेवा सुखों का द्वार खोलती, जैसे बारिश धरती को हरा करती। बहन-बेटी का आदर और गौ-माता की सेवा धर्म का मोल बढ़ाते। खोटे रास्तों से परहेज, सत्य का मार्ग मन को शुद्ध करता। कपट और दहेज का लोभ त्याग, सच्चे बोलों से जीवन सँवरता। पुरोहितों के घर बकरी न पालें, ब्रह्म का द्वार खोल सत्य की खोज करें। पूर्णिमा की रात सत्य का प्याला पिएँ, माया के भजन छोड़ नरसिंह गुरु की शरण में लीन हों। खेताराम जी, ब्रह्म ऋषि, की कृपा साधक को अज्ञान से मुक्त कर, हरि के चरणों में प्रेम और मुक्ति का रास्ता दिखाती।
 
Artist : Rekha Mewara  
Song :  Khamma Khamma O Mhara Guruji Kheteshvar
Album : Jai Ho Thari Daata
Singer : MADHURI VAISHNAV
 
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