चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

चलो री सखी आज मिलेगे भगवान,
आज मिले गे श्री राम,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान,

आगे चलत इक गंगा मिलेगी,
वही करे गे इशनान,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

आगे चलत इक कन्या मिलेगी,
वही करे गे कन्या दान,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

आगे चलत इक मंदिर मिलेगा,
वही करे गे पूजा दान,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

आगे चलत इक गइयाँ मिले गी,
वही करे गे गऊ दान,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान

आज मिले गे श्री राम,
चलो री सखी आज मिलेगे भगवान


सुंदर भजन में भगवान श्रीराम के दर्शन और आत्मिक यात्रा की अनुभूति प्रदर्शित की गई है। यह भावना भक्त को गंगा स्नान, कन्या दान, गौ सेवा और मंदिर में पूजा-अर्चना के माध्यम से आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर करती है। गंगा का जल केवल बाहरी शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मा की पवित्रता का प्रतीक है। जब मनुष्य श्रद्धा से स्नान करता है, तो वह केवल जल में नहीं, बल्कि ईश्वर की कृपा में स्नान करता है।

कन्या दान केवल एक संस्कार नहीं, बल्कि जीवन में दया, प्रेम और जिम्मेदारी का भाव जागृत करने वाला कर्म है। यह भक्ति का वह स्वरूप है, जो निस्वार्थता और सेवा को प्रतिष्ठित करता है।

गाय की सेवा भारतीय संस्कृति में परम पुण्य माना जाता है। यह भजन आत्मा को करुणा और भक्ति से जोड़कर, गौ माता की महिमा को उजागर करता है।

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