दिल दिवाना है आपका भजन
दिल दिवाना है आपका भजन
दिल दिवाना है आपका,मुझे अपने रंग मे रंग दे,
मेरे यार साँवरे,
दिल दिवाना है आपका,
दिलदार सांवरे।
मुझे ऐसे रंग में रंग दे,
उतरे ना जनम जनम तक,
नाम तुम्हारा कान्हा,
लिखदे तू सारे बदन पर,
मुझे अपना बना के,
मुझे अपना बना के देखो,
इक बार सांवरे,
दिल दिवाना है आपका,
दिलदार सांवरे।
भव सागर में मोहन तू,
बस माझी बनकर आना,
भटकु मैं इधर उधर तो,
प्रभु मुरली मधुर बजाना,
मेरी जीवन नैया ले जा,
मेरी जीवन नैया ले जा,
उस पार सांवरे,
दिल दिवाना है आपका,
दिलदार सांवरे।
प्रभु प्रीत लगाना ऐसी,
निभ जाए मरते दम तक,
इसके अलावा तुमसे,
माँगा ना कुछ भी अबतक,
बनवारी तुम बिन जीना,
बनवारी तुम बिन जीना,
बेकार सांवरे,
दिल दिवाना है आपका,
दिलदार सांवरे।
मुझे अपने रंग मे रंग दे,
मुझे अपने रंग मे रंग दे,
मेरे यार साँवरे,
दिल दिवाना है आपका,
सुंदर भजन में दिल की गहराई से निकली पुकार है, जो श्रीकृष्णजी के प्रति अनन्य प्रेम और समर्पण को दर्शाती है। यह प्रेम इतना गहरा है कि मन उनके रंग में पूरी तरह रंग जाना चाहता है, जैसे कोई रंग ऐसा हो जो जन्म-जन्मांतर तक न उतरे। यह चाहत है कि श्रीकृष्णजी का नाम मन ही नहीं, बल्कि पूरे अस्तित्व पर अंकित हो जाए, जैसे हर सांस, हर धड़कन में सिर्फ वही बसें।
जीवन को एक भवसागर की तरह देखते हुए, यह पुकार है कि श्रीकृष्णजी माझी बनकर आएं और भटकते मन को सही राह दिखाएं। जब मन इधर-उधर भटकता है, तब उनकी मुरली की मधुर धुन ही वह संगीत बन जाता है, जो आत्मा को शांति देता है और जीवन की नाव को पार ले जाता है। यह विश्वास है कि उनके बिना यह जीवन अधूरा है, जैसे नाव बिना माझी के डगमगाती रहे।
इस प्रेम में एक ऐसी लगन है, जो मृत्यु तक न टूटे। यह इच्छा है कि श्रीकृष्णजी के साथ ऐसा रिश्ता बने, जो हर पल, हर क्षण में जीवंत रहे। उनके बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं, जैसे फूल बिना सुगंध के सूना हो। यह मन की वह प्यास है, जो सिर्फ श्रीकृष्णजी के प्रेम से ही बुझ सकती है।
उदाहरण के लिए, जैसे मीराबाई अपने प्रभु के लिए सब कुछ छोड़कर उनके रंग में रंग गई थीं, वैसे ही यह मन भी श्रीकृष्णजी के प्रेम में डूब जाना चाहता है। यह एक साधारण मन की आवाज है, जो अपने प्रिय सांवरे से बस उनके रंग में रंगने की गुहार लगा रहा है।