दिल के दामनगीरा चले गए भजन

दिल के दामनगीरा चले गए भजन

दिल के दामनगीरा चले गए
दिल के दामनगीरा चले गए
दिल के दामनगीरा चले गए,
हय दिल के,
आप तो जाय द्वारका सोहे,
हम जमुना के तीरा चले गए,
दिल के दामनगीरा चले गए,

गोरे नन्द यशोदा गोरी,
आप हैं श्याम शरीरा चले गए,
दिल के दामनगीरा चले गए,

एक सखी तब यों उठ बोली,
आखिर जात अहीरा चले गए,
दिल के दामनगीरा चले गए,

चन्द्र्सखी भज बाल कृष्ण छवि,
हरि के चरण पड़ी मीरा चले गए,
दिल के दामनगीरा चले गए, 

Chale Gaye Dil Ke Daman- Shri Shree Krishna Joshi's Bhajan...

सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति गहरी विरह-वेदना और उनके द्वारका चले जाने की पीड़ा झलकती है, जो भक्त के मन को व्याकुल कर देती है। यह वह भाव है, जो जमुना के तीर पर खड़े होकर प्रभु की बिदाई को देखता है, जैसे कोई प्रिय के चले जाने पर मन ही मन तड़पता है। दिल का दामनगीर होना उस गहरे प्रेम को दर्शाता है, जो श्रीकृष्णजी के बिना अधूरा सा लगता है।

नंद-यशोदा के गोरेपन और श्रीकृष्णजी के श्याम रंग का जिक्र उनके अनुपम सौंदर्य और लीलाओं को याद करता है, जो भक्त के मन में बसी रहती हैं। जैसे कोई विद्यार्थी अपने प्रिय गुरु की अनुपस्थिति में उनकी बातें याद करता है, वैसे ही यहाँ भक्त उनके रूप को हृदय में संजोए रखता है। यह प्रेम का वह रंग है, जो प्रभु के चले जाने पर भी मन को उनकी स्मृति में डुबो देता है। 

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