राधे श्री वृषभान दुलारी लिरिक्स Radhey Shri Vrishbhan Dulari
राधे शिरी वृषभान-दुलारीधुन: देखो वृन्दावन की .कृष्ण: राधे शिरी वृषभान-दुलारी, प्यारी बन्सी दे देओ मोय।या बन्सी बिन चैन न पाऊँ,बन्सी के बल गइयाँ चराऊँ,याहि के बल गिरिराज उठाऊँ,बंसी की धुन तीन लोक में, सुर-नर-नाग समोय ॥ राधे शिरी वृषभान,राधा: कैसी बन्सी श्याम तुम्हारी,हम क्या जाने गोपि बिचारी,तुम छलिया हम भोरी-भारी,झूँटो नाम लगाओ हमारों, बन में खोई होय ॥ राधे शिरी वृषभान,कृष्ण: तुमने बन्सी चोरि हमारी,तुम सब खंखा ब्रज की नारी,कौन क़हत तुम भोरी-भारी,नेंक दही के पाछे वा दिन, गारी दीनी मोय ॥ राधे शिरी वृषभान,राधा: चोरी करे सो खाए गारी,राजा होय या निपट भिखारी,आँख दिखाओ न पीरी-कारी,नाम बिगारों नन्दबबा को, लाज न आवै तोय,राधे शिरी वृषभान,कृष्ण: भगतन के हित देह ये धारी,तुम कहा जानो राधा प्यारी,बन्सी तीन लोक से न्यारी,सुर-नर-मुनि-ब्रह्मादिक जाको, पार न पायो कोय ॥ राधे शिरी वृषभान,
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