नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दानटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा
चमके मुख ज्यों चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा।
वो ही मेरा नटवर वो ही मेरा नागर
वो ही मेरा बालमुकुन्दा || भजो रे ----
कालिय दह के नाग को नाथा,
फन-फन नृत्य करन्ता || भजो रे ----
मथुरा जाकर कन्स को मारा,
सब दुष्टों के हन्ता || भजो रे ----
सब अवतारों में श्याम बड़े हैं
ज्यौं तारों में चंदा || भजो रे-----
सब देवों में शिवजी बड़े हैं
लिपटे रहत भुजंगा || भजो रे ----
सब सखियों में राधा बड़ी हैं
ज्यों नदियों में गंगा || भजो रे ----
सब साज़ों में बंसी बड़ी है
सब ग्रंथों में गीता || भजो रे -----
नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा ॥
नटवर नागर नंदा भजो रे मन गोविंदा | Rakesh Kala | Krishna Bhajan | Latest Krishna Bhajan 2019
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी की लीलाओं और उनके अनुपम रूप का गुणगान है, जो मन को उनकी भक्ति में डुबो देता है। यह वह पुकार है, जो हर पल गोविंद के नाम को याद करने की प्रेरणा देती है, जैसे चाँद की चमक रात को रोशन करती है, वैसे ही श्रीकृष्णजी का मुख-मंडल हृदय को आलोकित करता है। यह प्रेम भरा आह्वान है, जो उन्हें नटवर, नागर और बालमुकुंद के रूप में देखता है, जो हर भक्त के मन को मोह लेता है।
कालिया नाग को नाथने और मथुरा में कंस का संहार करने की बात उनकी असीम शक्ति और दुष्टों का नाश करने वाली लीला को दर्शाती है। जैसे कोई विद्यार्थी अपने नायक की गाथाएँ सुनकर प्रेरित होता है, वैसे ही यहाँ भक्त उनकी लीलाओं में खोकर उनके प्रति श्रद्धा से भर जाता है। यह विश्वास है कि श्रीकृष्णजी हर संकट में रक्षक बनकर आते हैं।
राधारानी को सखियों में गंगा की तरह सर्वोत्तम और बंसी को साजों में सबसे मधुर बताने का भाव उस प्रेम और सौंदर्य को उजागर करता है, जो श्रीकृष्णजी के साथ जुड़ा है। जैसे कोई चिंतक जीवन में सत्य और प्रेम की महत्ता को समझता है, वैसे ही यहाँ गीता को ग्रंथों में सर्वश्रेष्ठ मानकर प्रभु की महिमा को और गहरा किया गया है। यह भक्ति का वह रंग है, जो शिवजी के भुजंग और राधारानी की भक्ति में भी प्रभु की उपस्थिति को देखता है।
यह भजन भी देखिये