गोरा बोली भोले से कब बरात लाओगे

गोरा बोली भोले से कब बरात लाओगे

गोरा बोली भोले से,कब बरात लाओगे,
इन चांदनी सी रातों में,दुल्हन कब बनाओगे॥

इधर मेरे मेहंदी लगे,उधर तुम्हरे भस्मी चढ़ें,
इन चांदनी सी रातों में,भंगिया कब घुटबाओगे,

गोरा बोली भोले से,कब बरात लाओगे।
इन चांदनी सी रातों में,दुल्हन कब बनाओगे॥
अपलोड करता
सुनील बड़ोंनिया
Mo. 7440340861
पता - ग्राम पिपलिया जाहिर पीर

सुंदर भजन में पार्वतीजी की कोमल भावनाओं को अभिव्यक्त किया गया है, जहाँ वे भोलेनाथ से उनके विवाह का अनुरोध कर रही हैं। यह भजन शिव के वैराग्य और पार्वतीजी की समर्पित भक्ति को दर्शाता है। पार्वतीजी की प्रतीक्षा में प्रेम और उत्कंठा दिखाई देती है। वे शिव से अनुरोध कर रही हैं कि वे अपनी बारात लेकर आएं और इस सौम्य चांदनी रात को विवाह के पवित्र बंधन में बदल दें। यह भजन शिव-पार्वती के दिव्य प्रेम और उनकी आध्यात्मिक यात्रा को दर्शाता है।

यह भाव विशुद्ध प्रेम और श्रद्धा से ओत-प्रोत है, जहाँ पार्वतीजी अपनी साज-सज्जा में हैं, वहीं शिव अपनी भस्म में रमे हैं। यह बताता है कि शिव सांसारिक भोग-विलास से परे हैं, लेकिन उनकी भक्ति करने वाले भक्तों के लिए वे साक्षात कृपा का रूप हैं।

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